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दिनांक के बिना
दिनांक के बिना – उषाकिरण एक ऐसी कथाकार हैं जिनकी लेखनी में समाज, स्त्री और भूमण्डलीकरण को बार-बार अंकित किया जाता रहा है। उनकी लेखनी जीवन के लघु अंशों का कोलाज और मानचित्र दोनों है। लघुता का बोध विराट की आहट को पहचानने का संकेत है। इसी संकेत को उषाकिरण खान ने इस पुस्तक में अभूतपूर्व भाषा के माध्यम से उतारा है। दिनांक के बिना एक ऐसा दस्तावेज़ है जो समय के पार जाते जीवन के अध्यायों को स्पष्टता से पाठकों के समक्ष रखता है।
इन कथाओं में यात्राएँ हैं, स्मृतियाँ और जीवन के शाश्वत सत्य हैं। निजी अनुभवों की दृष्टि से पगी और अपने आस-पास के जीवन की विडम्बनाओं को दर्शाती हुई यह कृति साधारण जीवन को असाधारण परिप्रेक्ष्य में देखने का प्रयास करती है। बिहार की लोकचेतना और संस्कृति जिसमें नागार्जुन जैसे सशक्त कवि का होना इस बात का प्रमाण है कि मैथिली भाषा युगों-युगों से साहित्य और कलाओं को समृद्ध करती आयी है। साहित्य और मैथिली भाषा की उसी समृद्ध परम्परा का निर्वाहन उषाकिरण खान करती हैं।
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Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2022 |
Pulisher |
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