Dopahar Ki Dhoop
Dopahar Ki Dhoop
₹200.00 ₹160.00
₹200.00 ₹160.00
Author: Anil Kumar Sinha
Pages: 176
Year: 2008
Binding: Hardbound
ISBN: 8171380514
Language: Hindi
Publisher: Samayik Prakashan
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Description
दोपहर की धूप
“इस युग में जब धरती के कोने-कोने की नाप-जोख पूरी कर ली गई है और उसके एक-एक कोने की तसवीर को दुनिया-भर में प्रसारित कर दिया गया है, और जब मानव-जीवन और मन के हर पहलू की व्याख्या कर दी गई है – ऐसी स्थिति में एक साधन-सीमित अदना आदमी के पास ऐडवेंचर या आविष्कार के नाम पर भोगने को कुछ भी शेष नहीं बचा है…उसे इस मानव-देह को अंत तक ढोते रहने के अतिरिक्त करने को कुछ भी नहीं है…
‘…पर हमेशा ऐसा नहीं था। इसी सदी के प्रारंभ में हमारे पूर्वजों ने कुछ स्वप्न देखे थे-इस धरती के चेहरे को बदल देने के, इंसान के प्रारब्ध को एक नया रूप देने के। मानव-समुदाय ने उन सपनों पर विश्वास किया और स्वप्न देखने वालों के साथ कुछ दूरी तक निष्ठापूर्वक चलने की कोशिश भी की। पर बीतते समय के साथ वे सपने भी किसी मृग-मरीचिका की तरह शून्य में विलीन हो गए। न तो इस धरती की शक्ल बदली और न ही इंसान के प्रारब्ध में कोई परिवर्तन आया। इस सबके अंत में इंसान के हिस्से में अगर कोई चीज आई है तो वह है दिशाहीनता…और अब वह पाता है ,कि वह एक दोपहरी में, तपती हुई धूप में महज इसलिए खड़ा है, क्योंकि उसे दूर-दूर तक कहीं कोई छाया दीख ही नहीं रही…
अनिल कुमार सिन्हा ने ‘दोपहर की धूप’ से अनवरत जूझते और ‘छाया’ की तलाश में निरंतर सक्रिय इंसान की इन कहानियों की बुनावट में जो सूक्ष्म कारीगरी प्रस्तुत की है वह दिशाहीनता को चीरकर आशा छलकाती ‘दिशा’ की उजास की झलक देती है !
अनुक्रम
- दोपहर की धूप
- शाम के पहले
- जरूरत
- एक प्रश्न, कानून और व्यवस्था का
- धुंधले कांचवाली एक खिड़की
- डायन
- अच्छे लोग
- प्रतीक्षा
- लिमका की पांचवी बोतल
- अंगूठा
- युद्ध
- अड़हुल का फूल
- कथा
- एक प्रेम-कहानी
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2008 |
Pulisher |
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