Durghatna

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Author: Mahashweta Devi

Availability: Out of stock

Pages: 108

Year: 2008

Binding: Hardbound

ISBN: 9788181438577

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

दुर्घटना

अरणि और सीता, कभी एक-दूसरे से विवाह कर लेंगे, यह बात, कभी उन दोनों ने सोची भी नहीं थी। दोनों ही एक छोटे-से शहर में, बचपन से साथ-साथ बड़े हुए; सहशिक्षा के कॉलेज में दोनों ने साथ-साथ पढ़ाई लिखाई की। सीता ने अरणि को कभी भी ख़ास अहमियत नहीं दी। सीता को तो यह अहसास भी नहीं था कि उसके ख़ून में कितनी-कितनी तरह के संस्कार मौजूद थे। दरअसल, संस्कार तो ख़ून में हमेशा ही मौजूद रहते हैं, इस्तेमाल करने पर ही उनका पता चलता है। जो लोग जुबान से कहते हैं कि वे संस्कार मुक्त हैं, उन्हें यह ख़बर भी नहीं होती कि अतीत किस क़दर उनके ख़ून की अतल गहराइयों में रसा-बसा हुआ है।

सीता के जानने की तो खैर बात ही नहीं थी। पिता कॉलेज में प्रिंसिपल थे, बड़े भाई राजनीति करते थे, छोटा भाई शहर का प्रगतिशील संस्कृति दल चलाता था। सीता कॉलेज के वाद-विवाद में शामिल होती थी, मंच पर थियेटर करती थी।

इस शहर की आदि-आभिजात्य कोठियों में, एक कोठी सीता लोगों की थी ! उनकी पुश्तैनी कोठी तो तोड़ फोड़कर ढहा दी गयी थी। विशाल ख़ानदान के सभी लोगों ने ही यहाँ-वहाँ अपना-अपना घर-मकान तैयार कर लिया। सीता की कोठी के सामने ही भागीरथी नदी बहती हुई ! कोठी का नाम – बड़ी सेम्हल वाटिका ! अब तक गाँव का सब कुछ भागीरथी के जल में भेंट चढ़ गये नाम बचाये रखने के लिए, सीता के पिता ने अपनी कोठी का नाम, गाँव के नाम पर रखा था। बड़े सेम्हल गाँव में सिंह लोगों की क्या कम ख्याति थी ? कम्पनी के जमाने में, रामदास सिंह, इस शहर में कम्पनी के किरानी बने थे।

अरणि के पास ऐसा कोई प्राचीन वंश-गौरव नहीं था। इस शहर में वे लोग शरणार्थी के रूप में दाखिल हुए थे। बाप ने एक दुकान खोल ली थी। अपने बेटे-बेटियों को पढ़ाने-लिखाने की, उनके दिल मे प्रगाढ़ महत्वाकांक्षा थी।

उन्होंने अपनी पत्नी से कहा था, ‘हम लोग शिड्यूल कास्ट हैं ! अनुसूचित जाति ! हमारी पढ़ाई-लिखाई में खर्च नहीं लगेगा। पहले की पुरानी रीत, नेम-नियम भूल जाओ ! बच्चे अगर पढ़-लिख जायें, तो उन्हें नौकरी मिलेगी। “लड़कियाँ भी कामकाज करेंगी।’

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2008

Pulisher

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