Eent Ke Upar Eent

-20%

Eent Ke Upar Eent

Eent Ke Upar Eent

75.00 60.00

Out of stock

75.00 60.00

Author: Mahashweta Devi

Availability: Out of stock

Pages: 156

Year: 2008

Binding: Paperback

ISBN: 9788171194919

Language: Hindi

Publisher: Radhakrishna Prakashan

Description

ईंट के ऊपर ईंट

कलकत्ता और उसके आसपास के इलाक़ों में ईंट के भट्ठों पर आदिवासी बँधुआ मज़दूरों के क्रूर शोषण को इस कहानी-संग्रह में महाश्वेता देवी ने अपनी तीक्ष्ण दृष्टि और बेबाक क़लम से नंगा किया है। आदिवासी क्षेत्रों में सक्रिय ठेकेदारों, सरकारी नौकरशाहों और पुलिस की संगीन-बूटों की मार से लाचार भूखे-नंगे आदिवासी स्त्री-पुरुष, लड़के-लड़कियाँ अपने मूल निवासों से खदेड़े जाकर कैसे भट्ठों की जलती आग का ईंधन बनते हैं; भट्ठों के मालिकों के गुण्डे, दलाल, कुटनियाँ और रेल-स्टेशनों के पिट्ठू किस तरह मिलकर उन्हें ईंट-भट्ठों तक लाते हैं; जंगल में छिपी नंगी आदिवासी लड़कियों को अच्छे भोजन, वस्त्र और अच्छी मज़दूरी का लालच किन अमानवीय स्थितियों तक घसीट लाता है; वहाँ कैसे उनके शरीर और मन का शोषण किया जाता है – इन सबका इन कहानियों में बेबाक चित्रण है।

प्रताड़ितों में भी प्रताड़ित आदिवासी नारी के तन और मन की व्यथा को इस संकलन में विशेष रूप से उकेरा गया है। साथ ही उन आदिवासी क्रान्तिकारियों का आह्नान और उनके आह्नान से उद्वेलित मन का चित्रण भी बखूबी हुआ है। आदिवासियों के शोषण के प्रति महाश्वेताजी का गहरा सरोकार इन कहानियों में और तीखा होकर उभरा है। क्रान्तिकारी दिशा-संकेत इन कहानियों को विशिष्ट दस्तावेज़ बनाते हैं।

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2008

Pulisher

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Eent Ke Upar Eent”

You've just added this product to the cart: