Ek Kanth Vishpai

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Ek Kanth Vishpai

Ek Kanth Vishpai

200.00 150.00

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Author: Dushyant Kumar

Availability: 4 in stock

Pages: 128

Year: 2013

Binding: Hardbound

ISBN: 9788180317934

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

एक कण्ठ विषपायी

शिव-सती प्रसंग को आधार बनाकर लिखी गयी इस काव्य-नाटिका में दुष्यन्त कुमार ने बड़ी बेबाकी से कई ऐसे प्रसंगों को उठाया है जो हमारे समय में प्रासंगिक हैं। देवताओं में शिव ऐसे मिथक हैं जो औरों से बिल्कुल अलग आभावाले हैं। इस शिव की खासियत यही है कि अगर इनका तीसरा नेत्र खुल गया तो फिर दुनिया को ख़ाक होते देर नहीं लगेगी। सभी प्रार्थना करते हैं कि यह नेत्र यूँ ही बन्द रहे। क्या यह शिव उस आम आदमी की शक्ति का पर्याय नहीं जिसके जगने पर सत्ताधीशों को जमींदो़ज होते देर नहीं लगती। ये सत्ताधीश अपनी भलाई इसी में समझते हैं कि शिव अपना नेत्र बन्द रखें। अर्थात् जनता अपनी शक्ति अपने सामर्थ्य को भूली रहे। वह सोयी ही रहे, किसी भी कीमत पर जगने न पाये।

यह शिव जो कि एक जन-प्रतीक है, दुनिया भर के विष को अपने कण्ठ में समाहित किये हुए है। चार अंकों में फैला काव्य-नाट्य ‘एक कण्ठ विषपायी’ का वितान कुछ ऐसा ही है। काव्य-नाटिका ‘एक कण्ठ विषपायी’ मे एक पात्र है ‘सर्वहत’ जो अनायास ही उभरकर आधुनिक प्रजा का प्रतीक बन गया। दरअसल यह सर्वहत उस सर्वहारा वर्ग का ही प्रतिनिधि है जो हर जगह उपेक्षित रहता है। एक जगह यह सर्वहत कहता है – ‘मैं सुनता हूँ… मैं सब कुछ सुनता हूँ सुनता ही रहता हूँ देख नहीं सकता हूँ सोच नहीं सकता हूँ और सोचना मेरा काम नहीं है उससे मुझे लाभ क्या मुझको तो आदेश चाहिए मैं तो शासक नहीं प्रजा हूँ मात्र भृत्य हूँ केवल सुनना मेरा स्वभाव है।’

क्या आज भी जनता की यही स्थिति नहीं है ? वह मूकद्रष्टा की भूमिका में होती है। जनता के सेवक के नाम पर शासन करनेवाले नेता और नौकरशाह अपने को अधिनायक समझने लगते हैं। लोकतन्त्र भी आज महज एक मजा़क बनकर रह गया है। वंशवाद, परिवारवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद से आज सभी दल आप्लावित हैं। एक जगह सर्वहत कहता भी है – ‘शासन के गलत-सलत झोंकों के आगे भी फसलों से विनयी हम बिछे रहे निर्विवाद हमारे व्यक्तित्व के लहलहाते हुए खेतों से होकर दक्ष ने बहुत-सी पगडण्डियाँ बनायीं कर दीं सब फसलें बर्बाद।’

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Pages

Publishing Year

2013

Pulisher

Language

Hindi

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