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Description
एक करोड़ की बोतल
‘‘…जि़ंदगी एक फूल होती है जो मुरझा जाती है; जि़ंदगी एक पत्थर होती है और घिस जाती है; जि़ंदगी लोहा होती है और जंग खा जाती है; जि़ंदगी आँसू होती है और गिर जाती है; जि़ंदगी महक होती है और बिखर जाती है; जि़ंदगी समंदर होती है और…’’ यही है कृश्न चंदर की जादुई कलम, जिसने जीवन की भयावह सचाइयों को अत्यंत रोमैंटिक लहज़े में पेश किया है। ‘एक करोड़ की बोतल’ उनका एक महत्त्वपूर्ण उपन्यास है, जिसमें उन्होंने नारी के समस्त कोमल मनोभावों एवं उसकी आंतरिक पीड़ा को मार्मिक अभिव्यक्ति दी है।
एक कुशल कथाकार के नाते उनकी लेखनी ने बहुत सफलता के साथ सेक्स, रोमांस, धनाभाव और माया-लोक की सम-विषम परिस्थितियों में फँसे अपने मुख्य पात्रों को इस बात की पूरी स्वतंत्रता दी है कि वे अपने-आप को पाठक के सामने स्वयं उपस्थित करें। वास्तव में कृश्न चंदर का यह उपन्यास मानव-मन की दुर्बलताओं का दर्पण तो है ही, इसमें सामाजिक विघटन एवं कुंठा से उत्पन्न वे घिनौने प्रसंग भी हैं, जो हमें चिंतन के नए छोरों तक ले जाकर रचनात्मक पुनर्रचना के लिए प्रेरित भी करते हैं।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2017 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
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