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Description
एक महीना नज़्मों का
‘एक महीना नज़्मों का’ असलियत के आसमान में रोमानियत की उड़ान है। जवां सोच को लफ़्ज़ों में पिरोती हुईं ये नज़्में कभी ख़्यालों का कोहरा बन जाती हैं कभी असलियत की चट्टानें। एहसासों में गहरे उतर कर, आसान भाषा में लिखे इस मोहब्बत के इतिहास में आपको अपना अक्स दिखायी देगा। इसमें कहीं पहले प्यार की सिहरन है तो कहीं बन्दिशों से नाराज़गी। कहीं मीठे दर्द की चुभन है तो कहीं ख़्वाबों में महबूबा की छुअन। इसमें उदासी भी है, बारिश भी, तन्हाई भी है, शहर, कसबा और गाँव भी।
उम्मीद के धागों पर, बारिश के बाद पानी की बूँदों की तरह तैरते रंग-बिरंगे ख़्वाबों को ज़ुबान देती हैं ये नज़्में। मोहब्बत कभी न कभी, किसी न किसी से सबने की है और हर किसी की मोहब्बत ख़ास है। उस ख़ासियत का एहतराम करते हुए ये नज़्में उम्र की हदों को पार करती हुईं सबकी होने की ताक़त रखती हैं।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2018 |
Pulisher |
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