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Description
फसादी
‘फ़सादी’ इस्मत चुग़ताई के लघु नाटकों का ऐसा संग्रह है जो साम्प्रदायिकता के दंश से बेहाल, बदहाल और बेज़ार होते समाज की मानसिकता और त्रासदी से लिपटे उसके विकृत और कुरूप चेहरे को न केवल उकेरता है बल्कि इससे उपजी विभीषिका को भी मार्मिकता के साथ अभिव्यंजित करता है। धर्म, जाति, क्षेत्र, पन्थ के आधार पर अपनी पहचान का निर्धारण ही साम्प्रदायिकता है; इस वास्तविकता और सिद्धान्त को स्थापित करते ये नाटक वस्तुतः समाज और देश के लिए एक आईने की तरह हैं, एक ऐसा आईना जिसमें साम्प्रदायिकता से तार-तार होते मानवीय मूल्यों, गुरुता और गरिमा को स्पष्ट ही देखा जा सकता है; लेकिन ये सिर्फ़ समस्याओं के विश्लेषण और वर्णन मात्र नहीं हैं वरन ये नाटक साम्प्रदायिकता के पुरज़ोर विरोध और वैकल्पिक समाधान के अन्वेषण पर भी विशेष ज़ोर देते हैं। इन नाटकों में भी इस्मत चुग़ताई की स्पष्टाभिव्यक्ति और निर्भीकता प्रतिबिम्बित होती है। वस्तुतः इस्मत चुग़ताई के नाटक उनकी शख़्सियत के उद्वेलन और द्वन्द्व की ही अभिव्यक्ति हैं। वे एक-दूसरे के पूरक हैं। यद्यपि इस संग्रह के नाटकों की शास्त्रीयता और ‘शुद्धता’ के सन्दर्भ में कुछ शंकाएँ हो सकती हैं किन्तु यह कहने में कोई अतिशयोक्ति और अतिरंजना नहीं है कि ये नाटक की सोद्देश्यता और उसके जनवादीकरण की प्रक्रिया को और तेज़ करने की न केवल हिमायत करते हैं बल्कि उसके लिए नानाविध प्रकार की विधियों को भी प्रस्तुत करते हैं।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2021 |
Pulisher |
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