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फेरा
प्रस्तुत लेखक बांग्लादेश की प्रगतिवादी लेखिका तसलीमा नसरीन द्वारा लिखत है जिसका अनुवाद किया है अमर गोस्वामी ने। लहभाग 100 पृष्ठ का यह उपन्यास स्त्री के जीवन के ऐसे पहलुओं को उजागर करती है जो आमतौर पर अनदेखी ही रह जाती है। स्त्री जीवन के संघर्ष और कदम-दर-कदम झेलनी वाली परेशानियों का चिट्ठा है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2011 |
Pulisher |
जलज आहूजा –
फेरा में कल्याणी की कहानी है जो बांग्लादेश में पैदा होती है लेकिन उसे उसके माँ बाप भारत में उसके मामा के पास भेज देते हैं और शादी के बाद कल्याणी अपने बेटे के साथ बांग्लादेश जाती है चूंकि तब तक उसके माँ बाप मर चुके होते हैं तो वह अपनी बचपन की मुस्लिम सहेली के घर पर रुकती है और देखती है कि कैसे बांग्लादेश कट्टरपंथ और कठमुल्लावाद में फंस रहा है