Gali Kooche

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450.00 375.00

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Author: Ravinder Kaliya (रवीन्द्र कालिया)

Availability: 5 in stock

Pages: 290

Year: 2012

Binding: Hardbound

ISBN: 9789350721438

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

गलीकूचे

…..यदि एक ओर निर्मल वर्मा कहते हैं, कि कहानी की मृत्यु से चर्चा आरम्भ करनी चाहिए, तो दूसरी ओर रवीन्द्र कालिया का भी यही कहना है, कि ‘मुझे कहानी के उस स्वीकृत रूप से घोर वितृष्णा है, जिस अर्थ में वह आज कहानी के नाम से जानी जाती है।’ इस विरोध को एकरसता की क्षोभ-भरी प्रति-क्रिया के रूप में लिया जा सकता है। इन नवयुवक लेखकों की कहानियों से साफ़ झलकता है, कि वे आज की सामाजिक सतह से नीचे जाकर ‘मानव-नियति’ और ‘मानव-स्थिति’ सम्बन्धी बुनियादी प्रश्न उठा रहे हैं। लगता है, युग नये सिरे से अपने-आप से भयावह प्रश्नों का साक्षात्कार कर रहा है। वैसे किताबी नुस्खे और चालू फ़ैशन यहाँ भी हैं, किन्तु ‘प्रश्नात्मक दृष्टि’ खरी और तेज है।

आज के मानवीय सम्बन्धों की अमानवीयता को बेध कर पहचानने की अद्भुत क्षमता इस दृष्टि में है। इसलिए जिस निर्ममता के साथ सीधी भाषा में ये आज की मानव-स्थिति को कम-से-कम रेखाओं में उतार कर रख देते हैं, वह पूर्ववर्ती कथाकारों के लिए स्पर्धा की वस्तु हो सकती है। कहानी के रूपाकार और रचना-विधान की दृष्टि से ये कहानियाँ एक अरसे से उपयोग में आने वाले कथागत साज-संभार को एकबारगी उतार कर काफी हल्की हो गई हैं-हल्की, लघु और ठोस।

– नामवर सिंह

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2012

Pulisher

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