Gandhi Drishti : Yuva Rachnamakta Ke Aayam
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गांधी-दृष्टि : युवा रचनात्मकता के आयाम
गांधी-दृष्टि : युवा रचनात्मकता के आयाम पुस्तक में प्रकाशित आलेखों का सकारात्मक प्रभाव युवाओं और समाज पर पड़ेगा। आज युवा वर्ग को गांधीजी के विचारों से जोडऩे की आवश्यकता है। इस पुस्तक के माध्यम से इस कार्य को और गति मिलेगी। बेहतर समाज निर्माण के लिए युवाओं को मूल्यपरक विचारों से जोड़ने की जरूरत है क्योंकि सजग युवा ही सबल समाज और राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं, इसके लिए आवश्यक है कि महात्मा गांधी के जीवन मूल्य और दर्शन को दुनिया के सामने लाया जाए। जीवन की आपाधापी एवं महत्त्वाकांक्षाओं की केंद्रीयता ने आज युवा को बहुत ही सीमित कर दिया है। आज जरूरत इस बात की है कि युवा पीढ़ी अपने को राष्ट्र के साथ संलग्न महसूस करे। देश की चिंता सिर्फ सरकार का काम नहीं है, इसकी चिंता राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को नैसर्गिक रूप से होनी चाहिए।
इस पुस्तक के रचनात्मकता को अच्छे ढंग से रूपायित किया गया है। गांधीजी के रचनात्मक कार्यरूप का प्रयोग और भारतीय स्वाधीनता आंदोलन दोनों एक-दूसरे के पूरक रहे हैं। दरअसल गांधी ने सम्पूर्ण स्वाधीनता आंदोलन में जनमानस को जोडऩे के लिए रचनात्मक कार्यक्रमों को जरिया बनाया। गांधी जानते थे कि रचनात्मक कार्यक्रम का आधार है नैतिकता। नैतिकता मनुष्य के आचरण को शुद्घि देता है। नैतिक आचरण करने वाला व्यक्ति या युवा ही सभ्य और सुसंस्कृत समाज का निर्माण कर सकेगा। इस रास्ते पर चलकर बना समाज सतत विकास को प्राप्त कर सकेगा।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2018 |
Pulisher |
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