General Joravar Singh

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General Joravar Singh

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250.00 220.00

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Author: Sayiya Sunami

Availability: 5 in stock

Pages: 204

Year: 2020

Binding: Paperback

ISBN: 9789386336897

Language: Hindi

Publisher: Hindi Sahitya Sadan

Description

जनरल जोरावर सिंह

प्रकाशकीय

साहित्य एवं ललितकलाओं के समान ही उसके साधकों में भी तुलना के हम सिद्धांततः पक्ष में नहीं हैं। प्रत्येक साधक की साधना का अपना स्तर है और अपना विवेक। जिस मानव की हस्तरेखाओं में उस अदृश्य लेखक ने, उसके हाथों द्वारा साहित्य निर्माण की योजना लिखी है वह चाहे अपनी आजीविका चलाने के लिए कोई भी कार्य क्‍यों न करे, उसकी चिन्तन और कलम पकड़ने की प्रवृत्ति उसका साथ नहीं छोड़ पाती। यह अलग बात है कि विधाता ने किसी साधक के भाग्य में महान्‌ ख्याति लिखी है तो कोई मूक साधक ही बना रहकर उसी में संतुष्ट है। उर्दू के महान्‌ कवि गालिब के उद्‌गार हैं :

सौ पुश्त से है पेशा आबाह-ए-सिपाह गीरी।

कुछ शायरी जरिया इज्जत नहीं मुझे।

किंतु संसार जानता है कि एक सैनिक परिवार में जनमें गालिब साहब कितनी उच्च कोटि के शायर बने।

इस उपन्यास के ख्याति प्राप्त लेखक श्री रामजीदास पुरी उर्फ (उपाख्य) सय्याह सुनामी जी के संबंध में भी किसी सीमा तक उपरोक्त पंक्तियाँ सही ही उतरती हैं। उनका जन्म पंजाब के एक क्षत्रिय परिवार में हुआ और वह एक पुलिस अधिकारी भी थे। किंतु उनकी प्रवृत्ति उन्हें साहित्य की ओर ही खींच लाई। प्रारम्भ में पंजाब (लाहौर) के उर्दू पत्रों में उन्होंने उच्च कोटि की राष्ट्रीय कविताएँ लिखकर साहित्य मंदिर में अपने पूजा-प्रसून चढ़ाए और उनकी इन रचनाओं को लोकप्रियता प्राप्त हुई।

हिंदी पाठक सय्याह शब्द का तात्पर्य यात्री या पर्यटक किसी भी रूप में समझ सकते हैं। आप भूतपूर्व पटियाला राज्य के सुनाम नामक नगर के निवासी थे। इसी कारण आप अपने को सुनामी भी लिखते थे।

एक साहित्यकार के नाते उनकी मान्यता के संबंध में पाठक जान ही चुके होंगे कि वे अपने प्रदेश की सरकार तथा भारत सरकार दोनों से ही अपनी रचनाओं पर पुरस्कृत हो चुके हैं। जहाँ तक उनके द्वारा ऐतिहासिक उपन्यासों की पृष्ठभूमि व पात्रों के चयन का प्रश्न है लेखक की भूमिका से पाठक भली-भाँति समझ सकेंगे।

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Authors

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2020

Pulisher

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