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गालिब
ग़ालिब उर्दू कवियों में सर्वाधिक प्रमुख कवि के रूप में उभर कर सामने आते है अतः यह उचित ही है कि भारत तथा अन्य देशों के ग़ैर-उर्दूभाषी लोगों को उनके जीवन और कृतित्व से अवगत कराया जाय।
ग़ालिब ने स्थापित काव्य-परंपरा का ही अनुसरण किया है तथा अपनी कल्पना-शक्ति, सूझ-बूझ और अनुभवों से उस परंपरा की अभिवृद्धि की। प्रारम्भिक दौर में उनकी अभिव्यक्ति शक्तिशाली तो थी किंतु उसमें उर्दू और फ़ारसी के मुहावरे को नज़रअदाज़ किया गया था। फिर ग़ालिब ने फ़ारसी में लिखना प्रारंभ किया और अन्त में उर्दू पर उतर आए। उनके अन्तिम दौर की रचनाओं ने काफ़ी लोकप्रियता अर्जित की और आगे आने वाली पीढ़ियो ने भी यह पाया कि ग़ालिब ने अपने अंतरतम विचारों को अत्यधिक प्रभावशाली अंदाज में अभिव्यक्त किया है। प्रोफेसर मुहम्मद मुजीर एक साहित्य मर्मी के अतिरिक्त इतिहासज्ञ भी है। अतः वह ग़ालिब के युग और ग़ालिब द्वारा प्रयुक्त काव्य-परंपरा का विषद चित्रण सफलतापूर्वक कर पाए हैं।
Additional information
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Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2019 |
Pulisher |
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