Gharanedar Gayaki : Hindustani Sangeet Ke Gharane Ki Sulalit Saundarya-Meemansa
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Description
घरानेदार गायकी : हिन्दुस्तानी संगीत के घरानों की सन्तुलित सौन्दर्य मीमांसा
मराठी में पहली बार काफी ऊँचे दर्जे का सांगीतिक सैद्धान्तिक निरूपण।
– डॉ. अशोक रानडे
इस ग्रन्थ ने हिन्दुस्तानी संगीत की सैद्धान्ति की को निश्चित रूप से आगे बढ़ाया है। वामनरावजी का यह कार्य अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।
– डॉ. बी. वी. आठवले
‘घरानेदार गायकी’ ग्रन्थ शास्त्रीय संगीत के सौन्दर्यात्मक ढाँचे के यथासम्भव सभी आयामों का सैद्धान्तिक विवेचन करनेवाला मराठी का (और सम्भवत: अन्य भाषाओं में भी) पहला अनुसन्धानात्मक ग्रन्थ होगा।
– डॉ. श्रीराम संगोराम
श्री वामनराव देशपाण्डे का यह अध्ययन मात्र उनके किताबी ज्ञान पर निर्भर नहीं है। इस सम्पूर्ण अध्ययन के पीछे उनकी अनुभूति है। स्वानुभव से उन्होंने अपने विचार निश्चित किये हैं और अत्यन्त प्रासादिक शैली में उन्होंने एक जटिल विषय प्रस्तुत किया है और इसीलिए पठन का आनन्द भी अवश्यमेव प्राप्त होता है।
– श्री दत्ता मारूलकर
भारतीय संगीत परम्परा के कई आयामों की दृष्टि से यह अग्रणी पुस्तक है।
– Elise Barnett
आश्चर्य है कि खयाल पर भारत या पश्चिम में बहुत कम सामग्री प्रकाशित हुई है। जो हुई है, उनमें देशपाण्डे की पुस्तक ही प्रमुख है, जो सन् 1973 में अँग्रेज़ी में ‘Indian musical traditions’ के नाम से प्रकाशित हुई।
–James kippen.
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2020 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
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