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Description
गिरिजा
गिरिजा देवी का संगीत रचना सुनते हुए मन की उसाँस किसी अँधेरेी गह्वर गुफ़ा से निकलकर एक बिम्ब विधान रचती है, यह एक कला का दूसरी कला के प्रति अपने गहन आभार का स्तुतिगान भी है। संगीत के असीम कुहासे और मौन को भेदता हुआ एक भित्ति चित्र।
यतीन्द्र मिश्र की यह पुस्तक एक बार पुनः इस बात की पुष्टि करती है कि हर कला संगीत के सर्वोपरि शिखर पर पहुँचने का स्वप्न देखती है। कविता के भीतर से उठता हुआ संगीत का स्वप्न…किसी संगीतकार की कला को संगीत में बाँधना कुछ वैसा ही दुष्कर कार्य है, जितना बहते झरने की कलकल धारा को अपनी मुट्ठी में समो पाना। किन्तु जितनी बूँदें भी हाथ लगती हैं, उनमें समूचे ‘सम्पूर्ण’ का रोमांचित स्वर अनुगूँजित हो जाता है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2001 |
Pulisher |
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