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गोबिन्द गाथा
‘‘सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह के आदर्शपूर्ण जीवन और उनकी वीरता, धीरता तथा संघर्ष की लोमहर्षक अमरगाथा उपन्यास के रूप में। गुरु के बहुआयामी व्यक्तित्व का चित्रात्मक विवरण जिसमें औपन्यासिकता और इतिहास की प्रमाणिकता दोनों का मनोहर संगम मिलता है – सम्मोहक और प्रवाहपूर्ण शैली में।
यह उपन्यास लेखक की पूर्व कृति ‘का के लागू पाँव’ की दूसरी तथा अंतिम कड़ी है। यूं दोनों उपन्यास अपने में स्वतंत्र हैं जहाँ। ‘का के लागू पाँव’ में उनकी नौ वर्ष तक की आयु की कथा थी, वहीं इसमें उससे आगे की गाथा है, निर्वाण तक की। उपन्यास प्रारंभ से लेकर अंत तक पाठक के मन को अपनी मोहिनी में बांधे रखता है। भगवतीशरण मिश्र की नवीनतम औपन्यासिक कृति।’’
Additional information
Binding | Hardbound |
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Language | Hindi |
Publishing Year | 2019 |
Pulisher | |
Authors | |
ISBN | |
Pages |
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