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Description
गोदान
प्रेमचंद का साहित्य केवल गांधीवाद की शिक्षा नहीं देता, केवल स्वाधीनता की लड़ाई की कहानी नहीं कहता। उनका साहित्य किसान की, साधारण जनता की, उनके साथ काम करने वाले बुद्धिजीवियों को सबक देता है कि किस तरह जनता को साथ लेकर चलने वाला नेता, राष्ट्रप्रेमी, देशप्रेमी और राष्ट्रीयता के लिए संघर्ष करनेवाले लोग मूलतः और अन्ततः अपने वर्ग-हित के लिए लड़ते हैं और उनके वर्ग-हित पर जब चोट पड़ती है, तो चोला बदल लेते हैं, पला बदल लेते हैं, बाना बदल लेते हैं, पक्ष बदल लेते हैं और उनके विरूद्ध चले जाते हैं।
गोदान को प्रेमचंद का कालजयी उपन्यास माना जाता है। यह अपने समय का आईना है। इसमें कृषक जीवन की विडम्बनाओं का मार्मिक चित्रण मिलता है। उस समय की शायद ही कोई समस्या हो जिसका गहरा चित्रण ‘गोदान’ में नहीं मिलता।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2016 |
Pulisher |
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