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Description
गुहावासिनी
डॉ. भगवतीशरण मिश्र, पौराणिक और ऐतिहासिक उपन्यासी के लेखन में अग्रणी स्थान रखते हैं। अब तक इनके ग्रंथ प्रबुद्ध पाठकों के लिए रहे हैं।
मैंने सोचा कि नई पीढ़ी को भी अपनी संस्कृति और सभ्यता से अगवत होना आवश्यक है, कम-से-कम अपने देवी-देवताओं से। यही सोचकर मैंन डॉ. मिश्र से अनुरोध किया कि वह सरल-सहज भाषा में और अपनी प्रसिद्ध आकर्षक औपन्यासिक शैली में आम पाठक को ध्यान में रखकर कुछ पुस्तकें लिखे।
प्रस्तुत है इस कड़ी में दूसरी पुस्तक ‘गुहावासिनी’ जो माता वैष्णों देवी पर आधारित है। वैष्णों देवी मनोकामना-पूर्ति के लिए प्रसिद्ध हैं। प्रति माह यहाँ लाखों श्रद्धालु आते हैं। पूरे भारत और उसके बाहर के भी तीर्थयात्री माता के दरबार में पहुँचते हैं।
पुस्तक की शैली रोचक और भाषा सरल हैं। प्रबुद्ध एवं सामान्य दोनों प्रकार के पाठकों के लिए यह उपयोगी हैं और इसके पठन-मात्र से वे माता वैष्णों की कृपा के पात्र बनकर रहेंगे।
इस श्रृंखला में हम शीघ्र ही और पुस्तकें भी देगें जिससे हमारी प्राचीन विरासत से हमारा पाठक-वर्ग पूर्ण परिचित हो सके। आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
प्राक्कथन
हम अपनी विरासत एवं संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। अपने धार्मिक अवतारों, देवी–देवताओं, तीर्थ-स्थानों से हमारा अपरिचय बढ़ता जा रहा हैं। नई पीढ़ी का तो ज्ञान इस क्षेत्र में और कम हैं। ऐसा नहीं कि यह पीढ़ी धार्मिक है ही नहीं। मन्दिरों-मठों में जाएँ तो इनकी संख्या निरन्तर बढ़ती ही जा रही हैं क्योंकि उनकी समस्याएँ है, आकांक्षाएँ हैं, जीवन में आगे बढ़ने की प्रवृत्ति है। जीवन–संघर्ष कठिन हो गया है। प्रतियोगिता बढ़ गई हैं। ऐसे में नई पीढ़ी भी देवी–देवाताओं की ओर मुड़ी है, मुड़ती जा रही हैं।
इस पीढ़ी तथा अन्य लोगों की भी विवशता यह है कि उन्हे अपने धर्म तथा देवी-देवताओं के सम्बन्ध में पर्याप्त ज्ञान नहीं है। कुछ के ऊपर तो पुस्तकें हैं भी नहीं। कुछ के ऊपर हैं भी तो इतनी बड़ी और कठिन की कोई उन्हें छूना ही नहीं चाहता। वे पढ़ने में अरूचिकर भी लगती हैं। हमने निर्णय किया कि आकर्षण औपन्यासिक शैली में इन विषयों पर पुस्तकें लिखी जाएँ तो उन्हें पढ़ने में एक बड़े पाठक-वर्ग की रूचि होगी। अपने धर्म, अपने संस्कार-संस्कृति और अपने अवतारों तथा देवी शक्तियों के सम्बन्ध में वे पहले से अधिक जान पाएँगे। जानकारी से उनकी आस्था में वृद्धि होगी और उनकी धार्मिक-आध्यात्मिक प्रवृत्ति में भी वृद्धि होगी।
ऐसे में उनकी, देवस्थानों में रूचि बढ़ेगी, पूजा, प्रार्थना मे भी। तीर्थव्रत में भी। इस सबका लाभ तो उन्हें मिलेगा ही। उनकी मनोकामनाओं की पू्र्ति होगी। उनकी समस्याओं का समाधान होगा।
डॉ. भगवतीशरण मिश्र
Additional information
Binding | Hardbound |
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ISBN | |
Publishing Year | 2023 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
Authors | |
Pages |
Reviews
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