Gumshuda

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295.00 225.00

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Author: Dr. Rekha Vashisht

Availability: 5 in stock

Pages: 112

Year: 2024

Binding: Hardbound

ISBN: 9789355182685

Language: Hindi

Publisher: Bhartiya Jnanpith

Description

गुमशुदा

हाँ, ये गुमशुदा लोगों की कहानियाँ हैं। उनकी गुमशुदगी की कहानियाँ हैं। गुमशुदा लोग घर-परिवार से ही नहीं होते, मन से भी होते हैं। कुछ उन गली-मुहल्लों को भूल जाते हैं, जहाँ वे बरसों से रह रहे थे तो कुछ ख़ुद अपने आप से ही गुमशुदा हो जाते हैं। कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने कभी खुद को खोजा ही नहीं और सारी ज़िन्दगी गुमशुदगी में निकाल दी, तो कुछ ऐसे भी जिन्होंने सारी ज़िन्दगी ख़ुद को एक ख़ास आईने में देखा-पहचाना और एक दिन अचानक अपने अस्तित्व को सम्पूर्णता में जी लेने के बाद पता चला कि वे वैसे थे ही नहीं जैसे ख़ुद को समझ रहे थे और उन्हें समय की धारा में गुम हो चुके अपने वजूद को दोबारा खोजना है।

डॉ. रेखा वशिष्ठ के इस कहानी संग्रह ‘गुमशुदा’ की आठों कहानियों के किरदार गुमशुदा होने की ऐसी ही किसी न किसी तरह की परिस्थिति से गुज़र रहे हैं।

रेखा जी की कहानियाँ सघन संवेदनाओं की ऐसी रचनाएँ हैं जो आज की दुनिया में गुम हो गये ‘साहित्य’ को पुनःस्थापित करती है। आज, जब साहित्य की आस्वाद-प्रक्रिया तक से गुज़रे बग़ैर, असंख्य लोग चन्द कविताएँ या दो कहानियाँ लिखकर ख़ुद को साहित्य-सर्जक मान बैठे हैं और साहित्य के नाम पर कुछ भी परोस रहे हैं, ये कहानियाँ एक सुखद विस्मय की तरह सामने आती हैं और हमें अहसास कराती हैं कि आख़िर साहित्य है क्या, कैसी भाषा और कैसे शिल्प में रचा जाता है, कैसे हमारी विचार प्रक्रिया को आन्दोलित करता है और कैसे हमारे अंतर्मन में कालजयी होकर चिरन्तन रूप से घर बना लेता है।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2024

Pulisher

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