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ज्ञान सागर
- भगवान् सबके भीतर ऐसे विराजमान हैं जैसे चिक के भीतर बड़े घराने की औरत; वह सबको देखती है किन्तु उसे कोई नहीं देख सकता। – रामकृष्ण
- जब शिष्य तैयार होता है तो गुरु आ जाता है। जब भक्त तैयार होता है तो भगवान् आ जाता है।
- नास्तिकों का तर्क शुतुर्मुर्ग के तर्क जैसा है। वह भी ऐसा ही कहता है कि दुश्मन दिखाई नहीं देता इसलिए है ही नहीं। सब नास्तिक शुतुर्मुर्ग है और सब शुतुर्मुर्ग नास्तिक हैं। – रजनीश
- जीव कभी कर्म से मुक्त नहीं हो सकता व ब्रह्म कभी कर्म में प्रवृत्त नहीं हो सकता।
- गृहस्थ का जीवन भी उतना ही श्रेष्ठ है जितना संन्यासी का। – विवेकानन्द
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2015 |
Pulisher |
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