Hamari Umra Ka Kapas

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Hamari Umra Ka Kapas

Hamari Umra Ka Kapas

199.00 149.00

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199.00 149.00

Author: Hemant Deolekar

Availability: 5 in stock

Pages: 133

Year: 2023

Binding: Paperback

ISBN: 9788119092970

Language: Hindi

Publisher: Radhakrishna Prakashan

Description

हमारी उम्र का कपास

हमारी उम्र का कपास की कविताएँ एक काल-यात्रा का गहरा एहसास हैं। संवेदनशील व्यक्ति पर यह एहसास कुछ ज़्यादा ही गहराता है। दो पड़ाव हैं इस सफ़र के। एक—समुन्दर बचपन में बादल था और दूसरा—लौटना फिर चुके हुए समय में। पहला खंड मासूमियत से सजा बच्चों का संसार है, जिसमें ख़ुशी के लिए रूढ़ भाषा, शाब्दिक अर्थ और रचना-बिम्बों की दरकार नहीं है। नाद और ध्वनियाँ ही इनके आह्लाद के सबब बन जाते हैं। ‘टुइयाँ गुइयाँ ढेम्पुलाकी चुइयाँ’ बस अबोध बच्चों की खुशियाँ उजागर करने वाली चाबियाँ ही तो हैं, जो कभी भी खुल सकती हैं। पर वक़्त के साथ उम्र का कपास लोहे में बदल जाता है।

इस संकलन के उत्तर राग की कविताएँ ऊबड़-खाबड़ तपती हुई धरती पर नंगे पैरों चलने का विवशता-भरा एहसास है। कितनी कड़ी शर्त क्यों न हो, मनुष्य का चलना लाज़िमी है। हेमंत चाहे कितनी भी विधाओं में सक्रिय हों, वह आपादमस्तक कवि ही हैं। कविता हर जगह उनकी प्रतीक्षा में खड़ी नज़र आती है। बिम्ब विधान उनकी कविता का सबसे सबल और प्रबल पक्ष है। चाहे वे एक पंक्ति की कविताएँ क्यों न हों। यथा—‘अमलतास के फूल बसंत की बारिश हैं’ या ‘हवाओं की नदी में नावें तैरतीं महुए की’ या ‘पवनचक्कियाँ हवाओं का शिकार करती हैं’।

एक समर्थ कवि कम से कम शब्दों में नाद और ध्वनियों में भी बड़े अर्थ भर सकता है। कवि हेमंत देवलेकर ने यह सब अपनी रचनात्मकता से सिद्ध किया है।

प्रमोद त्रिवेदी

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2023

Pulisher

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