Hanstey Nirjhar Dahakti Bhatti

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Hanstey Nirjhar Dahakti Bhatti

Hanstey Nirjhar Dahakti Bhatti

190.00 160.00

In stock

190.00 160.00

Author: Vishnu Prabhakar

Availability: 5 in stock

Pages: 128

Year: 2012

Binding: Hardbound

ISBN: 9788170166276

Language: Hindi

Publisher: Kitabghar Prakashan

Description

हँसते निर्झर, दहकती भट्ठी

देश-विदेश में, नगरों में और प्रकृति के प्रांगण में जब-जब भी और जहाँ-जहाँ भी मुझे की यात्रा करने का अवसर मिला है, उस सबकी चर्चा मैंने प्रस्तुत पुस्तक में की है। इसमें जानकारी देने का प्रयत्न इतना नहीं है, जितना अनुभूति का वह चित्र प्रस्तुत करने का है, जो मेरे मन पर अंकित हो गया है। इन अर्थों में ये सब चित्र मेरे अपने है। कहीं मैं कवि हो उठा लगता हूँ, कहीं दार्शनिक, कहीं आलोचक, कहीं मात्र एक दर्शक। मैं जानता हूँ कि हुआ मैं कुछ नहीं हूँ।  मुझे मात्र दर्शक रहना चाहिए था, लेकिन मन की दुर्बलता कभी-कभी इतनी भारी हो उठती है कि उससे मुक्त होना असंभव हो जाता है। शायद यही किसी लेखक की असफलता है। मेरी भी है। लेकिन एक बात निश्चय ही कही जा सकती है कि इस पुस्तक में विविधता की कमी पाठकों को नहीं मिलेगी। कहीं विहँसते निर्झर, मुस्कराते उद्यान उनका स्वागत करेंगे तो कहीं विगत के खंडहर उनकी ज्ञानपिपासा को शांत करेंगे, कहीं उन्हें भीड़ के अंतर में झाँकने की दृष्टि मिलेगी तो कहीं नई सभ्यता का संगीत भी वे सुनेंगे। वे पाएंगे कि कहीं वे मेरे साथ कंटकाकीर्ण दुर्गम पथों पर चलते-चलते सुरम्य उद्यानों से पहुँच गए हैं, कहीं विस्तृत जलराशि पर नावों में तैर रहे हैं, कहीं पृथ्वी के नीचे तीव्रगामी रेलों से दौड़ रहे हैं तो कहीं वायु के पंखों पर सवार होकर विद्युत और मेघों द्धारा निर्मित तूफान को झेल रहे है। मुझे विश्वास है कि इससे जो अनुभूति उन्हें प्राप्त होगी, वह निरी निराशाजनक ही न होगी।

—विष्णु प्रभाकर

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Authors

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Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2012

Pulisher

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