Hashiye par

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Hashiye par

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160.00 135.00

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Author: K. D. Singh

Availability: 5 in stock

Pages: 112

Year: 2012

Binding: Hardbound

ISBN: 9788180317149

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

हाशिये पर

वर्षा ऋतु के लगभग प्रारम्भ में ही श्रावण मास के दिनों में अचानक गेरुए वस्त्र धारण किये हुए छोटे, बड़े, मँझोले युवकगण पूरे प्रान्त में जगह-जगह उत्पन्न हो उठते हैं और सड़कों के बिलकुल बीचोंबीच, सौ-पचास के दलों में एकत्रित होकर जल्दी-जल्दी कहीं जाने की स्थिति में दृष्टिगोचर होने लगते हैं। इन सबके हाथ में एक छोटी-सी मटकी होती है, जिसमें किसी पवित्र मानी जानेवाली नदी का जल होता है। ऐसे लाखों दल विभिन्न कस्बों, शहरों से गुजरते हुए टिडडी दल की तरह सड़क के किनारे स्थित चाय, मिठाई, फल इत्यादि की दुकानों को साफ करते चलते हैं।

आम आदमी से लेकर शासन-प्रशासन तन्त्र तक इनसे अत्यन्त भयभीत रहता देखा गया । इनकी सुरक्षा के लिए वर्दीधारी लोग तैनात किये जाते हैं तथा बड़े-बड़े राजमार्गों पर वाहनों का आगमन रोककर इनके लिए खाली करा लिये जाते हैं। इनके भ्रमण-काल में रेलगाड़ी के आरक्षण अवैध हो जाते हैं, कई बार ये लोग स्वयं ही रेलगाड़ी चलाने की जिद करते हैं और कई बार तो सचमुच चलाकर ले भी जाते हैं। आम बोलचाल की भाषा में इन्हें बम कहा जाता है, और जब फटते हैं तो वाहन, मकान, दुकान और थाने तक जलने लगते हैं।

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Authors

Binding

Hardbound

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2012

Pulisher

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