Hindi Kavya Mein Pragativad Aur Anya Nibandh

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Hindi Kavya Mein Pragativad Aur Anya Nibandh

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300.00 250.00

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Author: Vijayshankar Malla

Availability: 5 in stock

Pages: 228

Year: 2007

Binding: Hardbound

ISBN: 9789352294794

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

हिन्दी काव्य में प्रगतिवाद और अन्य निबंध

वह प्रगतिवाद की विचारधारा की यथार्थवाद की जमीन पर परखते हैं और उस धारा को भारतेन्दु से नेपाली तक के स्वदेशी संघर्ष की रोशनी में परखते थे। मार्क्स और एंगेल्स ने बार-बार ‘यथार्थवाद की सर्वमान्य क्लासिकीय अवधारणा को निरूपित किया है।’ मल्लजी प्रगतिवाद पर विचार करें या जैनेन्द्र के नायकों को परखें, वह एंगेल्स की तरह रचना या रचनाकार में यथार्थवाद का अर्थ तलाशतें हैं चाहे वह व्यंग्य रचनाओं में हो या शुक्लजी के व्यक्तिव्यंजक निबन्धों में हो, वह ‘तफसील’ की सच्चाई को परखते हैं। शुक्लजी के ‘विकासवाद’ की चर्चा इन निबन्धों में नहीं है पर काडवेल, इलियट, मार्क्स को साहित्य की यथार्थवादी परम्परा में अपने ढंग से याद करते हैं प्रो. मल्लजी। उनका अपना ढंग ‘आम परिस्थितियों में, आम चरित्रों का सच्चाई भरा पुनः सृजन ही है।’ मल्लजी ने लोक और कर्ता कवि की संवेदनशील सामाजिकता को इसी दृष्टि से परखा या व्याख्यायित किया है।

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Hardbound

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Language

Hindi

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Publishing Year

2007

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