Hindi Navjagaran : Bhartendu Aur Unke Baad

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Hindi Navjagaran : Bhartendu Aur Unke Baad

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595.00 455.00

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595.00 455.00

Author: Shambhunath

Availability: 5 in stock

Pages: 294

Year: 2022

Binding: Hardbound

ISBN: 9789355181329

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

हिंदी नवजागरण : भारतेंदु और उनके बाद

भारतीय नवजागरण को दिशा देने में हिंदी नवजागरण का क्या योगदान है, इसकी समस्याएं और परंपराएं क्या हैं, हिंदी क्षेत्र में धार्मिक कूपमंडूकता के विरुद्ध आवाजें किस तरह उठीं, ऐसे सवालों से रू-ब-रू कराती है शंभुनाथ की पुस्तक हिंदी नवजागरण : भारतेंदु और उनके बाद। इसमें 19वीं सदी से लेकर महावीर प्रसाद द्विवेदी और प्रेमचंद युग तक के राष्ट्रीय परिदृश्य में हिंदी-उर्दू विवाद, धर्म, जाति, स्त्री और किसान के प्रश्नों पर विस्तृत चर्चा है। आर्थिक उदारीकरण-सामाजिक अनुदारता के एक बेहद पेचीदा समय में हिंदी नवजागरण : भारतेंदु और उनके बाद पुस्तक 19वीं सदी की साहित्यिक बहसों और सांस्कृतिक सुधार आंदोलनों को एक नए परिप्रेक्ष्य में विवेचित करती है। यह बौद्धिक उपनिवेशन के शिकार उन उच्छेदवादी मूल्यांकनों से टकराती है जिनमें हिंदी नवजागरण को हिंदू पुनरुत्थानवाद के रूप में देखा गया है। नवजागरण युग के बुद्धिजीवियों ने किस तरह उपनिवेशवाद की आलोचना की और ‘हम-वे’ के भेदभाव से संघर्ष किया, उन्होंने किस तरह उदार हिंदी संस्कृति की नींव रखी और आखिरकार क्यों हिंदी नवजागरण की परियोजना अधूरी रह गई, इन सवालों पर प्रतिष्ठित लेखक और चिंतक शंभुनाथ ने तथ्यपूर्ण विश्लेषण किया है। विशाल हिंदी क्षेत्र की बौद्धिक विडंबनाओं और संभावनाओं के ज्ञान के लिए एक जरूरी किताब !

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Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2022

Pulisher

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