Hindi Sahityakaron Ke Patra_Sahitya Ka Anusheelan

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Hindi Sahityakaron Ke Patra_Sahitya Ka Anusheelan

Hindi Sahityakaron Ke Patra_Sahitya Ka Anusheelan

695.00 650.00

In stock

695.00 650.00

Author: Varsha Gaikwad

Availability: 4 in stock

Pages: 288

Year: 2017

Binding: Hardbound

ISBN: 9789383637669

Language: Hindi

Publisher: Aman Prakashan

Description

हिन्दी साहित्यकारों के पत्र-साहित्य का अनुशीलन

डॉ. प्रेमनारायण शुक्ल ने ‘सम्मेलन-पत्रिका’ के ‘पत्र विशेषांक’ (द्वितीय आवृत्ति, सन्‌ 1999) के संपादकीय में पत्र के संबंध में महत्वपूर्ण कथन किया है – ‘पत्र हमारे सूने क्षणों का साथी है। वर्तमान का कोलाहल जब हमारे कानों को बधिर-सा बना देता है, स्वजन-परिजन जब सभी एक-एक करके साथ छोड़ देते हैं और अपने पराये से हो जाते हैं, तब पत्र ही हमारा सम्बल बनता है। वही हमारे सखा के रूप में हमें ढाढ़स बँधाता है। वह उष्ण-शीत, सरस-नीरस अतीत को वर्तमान से साकार करता हुआ जीवन के विभिन्‍न रूपों की झाँकी उपस्थित करता है।’ इक्कीसवीं शताब्दी के प्रथम चरण में उपर्युक्त कथन ‘आउट ऑफ डेट’ या पुराना लगता है क्योंकि आज मोबाइल, टैबलेट और कम्प्यूटर तथा इंटरनेट के कारण पत्र, डाकिए या पोस्ट ऑफिस की जरूरत महसूस ही नहीं होती। पल भर में ‘एस.एम.एस.’ द्वारा संदेशों का आदान-प्रदान हो जाता है।

हिन्दी में साहित्यकारों के पत्रों के संकलन प्रकाशित करने का कार्य बहुत देर से शुरू हुआ। इसके पीछे पश्चिम की प्रेरणा को मान्य करना होगा। हिन्दी साहित्यकारों के पत्रों के संकलन करने एवं उन्हें प्रकाशित करने में बनारसीदास चतुर्वेदी, डॉ. रामविलास शर्मा, हरिवंश राय ‘बच्चन’, अमृतराय आदि की महत्वपूर्ण भूमिका है।

(प्राक्कथन से)

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2017

Pulisher

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