Hindostan Hamara : Vols. 1-2

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Hindostan Hamara : Vols. 1-2

Hindostan Hamara : Vols. 1-2

999.00 759.00

In stock

999.00 759.00

Author: Jaan Nisar Akhtar

Availability: 4 in stock

Pages: 1052

Year: 2023

Binding: Paperback

ISBN: 9789395737623

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

हिन्दोस्तां हमारा

सुविख्यात शायर जां निसार अख़्तर द्वारा दो खंडों में सम्पादित पुस्तक हिन्दोस्तां हमारा में उर्दू कविता का वह रूप सामने आया है जिसकी ओर इसके पहले लोगों का ध्यान कम ही गया था। प्रायः ऐसा माना जाता है कि उर्दू की शायरी व्यक्ति के प्रेम, करुणा और संघर्ष तक ही सीमित है और समय, समाज, राष्ट्र, प्रकृति तथा इतिहास से उसे कुछ लेना-देना नहीं है। परन्तु, यह पूरी तरह एक भ्रांत धारणा है, इसकी पुष्टि इस पुस्तक के दोनों खंडों में संकलित सैकड़ों कविताओं से होती है। इनमें देश प्रेम के साथ-साथ भारत की प्रकृति, परम्परा और इतिहास को उजागर करने वाली कविताएँ भी हैं। हिमालय, गंगा, यमुना, संगम आदि पर कोई दर्जन भर कविताएँ हैं, तो राजहंस, चरवाहे की बंसी और धान के खेत भी अछूत नहीं हैं। होली और वसंतोत्सव जैसे त्योहारों पर भी उर्दू शायरों ने बड़ी संख्या में कविताएँ लिखी हैं। इनमें ‘मीर’ और ‘नज़ीर’ की रचनाएँ तो काफी लोकप्रिय रही हैं। ताजमहल ही नहीं अजंता, एलौरा और नालंदा के खंडहर पर भी शायरों की नजर है। देश के विभिन्न शहरों और आज़ादी के रहनुमाओं के साथ-साथ राम, कृष्ण, शिव जैसे देवताओं पर भी कविताएँ लिखी गई हैं। साथ ही कुमार सम्भव, अभिज्ञान शाकुन्तल, मेघदूत जैसे महान संस्कृत काव्यों का अनुवाद भी उर्दू में हुआ है जिसकी झलक इस संकलन में मिलती है।

कुल मिलाकर उर्दू कविता का यह एक ऐसा चेहरा है जो इस संकलन के पहले तक लगभग छुपा हुआ था। भारत की सामासिक संस्कृति में उर्दू कविता के योगदान को रेखांकित करनेवाले इस संकलन का ऐतिहासिक महत्त्व है। पहली बार 1965 में इसका प्रकाशन हुआ था। उर्दू कविता की दूसरी परम्परा, जो वास्तव में मुख्य परम्परा है, को रेखांकित करनेवाला यह संकलन पिछले कई वर्षों से अनुपलब्ध रहा है। अब राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा इसे नई साज-सज्जा के साथ अविकल रूप में प्रकाशित किया जा रहा है।

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Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2023

Pulisher

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