Hindustan Mein Jaat Satta

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Hindustan Mein Jaat Satta

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600.00 510.00

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600.00 510.00

Author: Dr.Jean Deloche

Availability: 2 in stock

Pages: 241

Year: 2001

Binding: Hardbound

ISBN: 9788171196500

Language: Hindi

Publisher: Radhakrishna Prakashan

Description

हिन्दुस्तान में जाट सत्ता

मुगल साम्राज्य की अवनति के बारे में उपलब्ध यूरोपीय प्रलेखों में पादरी एफ. एक्स. वैदेल द्वारा फ्रेंच भाषा में लिखित वृत्तलेखों का महत्वपूर्ण स्थान है। टीफैनथेलर और मोदाव के समकालीन वैदेल ने उत्तर भारत के राजनीतिक मामलों के सम्बन्ध में बहुत कुछ लिखा है। उसमें जाट-सत्ता सम्बन्धी वृत्तलेख प्राथमिक स्रोत होने के कारण सबसे मूल्यवान है। यह वृत्तलेख मुगल राजतन्त्र की तत्कालीन स्थिति और मुगल साम्राज्य के पतन में जाटों की भूमिका को समझने के लिए एक ऐतिहासिक दस्तावेज हैं। वस्तुतः वैदेल धर्मप्रचारक के छद्‌म वेश में अंग्रेजों के लिए तत्कालीन शक्तिशाली जाट-शक्ति की जासूसी कर रहा था। आभिजात्य संस्कार वाला वैदेल जब किसी भारतीय घटना, वस्तु या व्यक्ति के किसी एक पक्ष की सूचना देता है तो वह व्यक्तिनिष्ठ अवधारणा के वशीभूत होकर उनको यूरोपीय मानदण्ड से परखता है और भारतीयों को हेयदृष्टि से देखता है। परन्तु जब वह परिस्थिति, घटना और व्यक्तियों का उनकी समग्रता में वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन करता है तो वह तीक्षा बुद्धिवाला विश्लेषक दृष्टिगोचर होता है। इतिहासकारों की तथ्य-अन्वेषक दृष्टि इस अन्तर को समझकर, पूर्वग्रह के झीने परदे को हटाकर इन तर्कसंगत विश्लेषणों को खोज लेती है। तत्कालीन मुख्य घटनाओं के ये विश्लेषण इतिहास की थाती हैं। इसी प्रकार वैदेल ने मुगल साम्राज्य के पतन के जिम्मेदार मुहम्मदशाह, अहमदशाह आदि अयोग्य शासकों, गुटबन्दी में लिप्त सफदरजंग, गाजीउद्दीन ख़ां और नजीबुद्दौला – दि उनके स्वार्थी वजीरों तथा जाट-शक्ति के उन्नायक बदनसिंह, सूरजमल उघैर जवाहरसिंह के चरित्रों का उनकी समग्रता में मूल्यांकन करने में सफलता प्राप्त की है।

संक्षेप में, वैंदेल ने अठारहवीं सदी के उत्तरार्द्ध में पश्चिमोत्तर भारत की मुख्य रूप से मुगल और जाट शक्तियों के साथ-साथ मराठा, सिख एवं राजपूतों की राजनैतिक शक्तियों की रूपरेखाओं का अंकन करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। तत्कालीन सामान्य अवनति और राजनैतिक अस्थिरता के परिदृश्य में वैभवशाली जाट-सत्ता के कृषि-आधारित आर्थिक विकास के कारण सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तन के शोध के लिए भी वैदेल ने पर्याप्त सामग्री उपलब्ध कराई है, जिसकी ओर विद्वानों का अभी तक ध्यान नहीं गया है।

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Authors

Binding

Hardbound

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2001

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