Itihas Sanskriti Aur Sampradayikta

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Itihas Sanskriti Aur Sampradayikta

Itihas Sanskriti Aur Sampradayikta

695.00 525.00

In stock

695.00 525.00

Author: Gunakar Muley

Availability: 5 in stock

Pages: 224

Year: 2019

Binding: Hardbound

ISBN: 9789388753692

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

इतिहास संस्कृति और सांप्रदायिकता 

गुणाकर मुले को हम विज्ञान विषयों के लेखक के रूप में जानते हैं। उन्होंने हिंदी पाठकों को सरलतम शब्दावली में विज्ञान की कठिन अवधारणाओं, आविष्कारों और खोजों से परिचित कराया। लेकिन उनके लेखन का उद्‌देश्य वैज्ञानिक दृष्टि को आम जन की जीवन-शैली और विचार का हिस्सा बनाना था। इसीलिए उन्होंने शुद्ध सूचनात्मक वैज्ञानिक लेखक के साथ संस्कृति, समाज, धर्म, अंधविश्वास आदि पर भी हमेशा लिखा। मार्क्सवाद उनकी वैचारिक भूमि रहा और आधुनिक जीवन-मूल्य उनके अभीष्ट।

यह किताब उनके ऐसे ही लेखन का संकलन है जिसमें संस्कृति, धर्म, हिंदुत्व की राजनीति, आर्यों का मूल आदि विभिन्न विषयों पर उनका लेखन शामिल है। पाठक इन लेखों में काफी कुछ नया पाएंगे। रामकथा को लीजिए। आज राम को लेकर देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के प्रयास जारी हैं। मगर राम काफी हद तक एक मिथकीय चरित्र है, इस बात के पर्याप्त सबूत वाल्मीकि-रामायण में ही मौजूद हैं। शिवाजी जैसे कई ऐतिहासिक चरित्रों को विकृत रूप में पेश करके मुस्लिम-द्वेष को उभारने के प्रयास हो रहे हैं। मगर प्रामाणिक इतिहास इस बात की गवाही देता है कि शिवाजी रत्ती-भर भी मुस्लिम-द्वेषी नहीं थे। इस बात को ‘ऐसा था शिवाजी का राजधर्म’लेख में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इधर के वर्षों में देश में धार्मिक असहिष्णुता और सांप्रदायिकता में तेजी से वृद्धि हुई है। इस पर रोक लगाने के लिए आम जनता को शिक्षित करना अत्यावश्यक है-उनकी अपनी भाषा में। सांप्रदायिकता अपने प्रचार-प्रसार के लिए आम जनता की भाषा का भरपूर उपयोग कर रही है। सांप्रदायिकता के प्रतिकार के लिए भी जनता की भाषा का ही उपयोग होना चाहिए। इस तरह गुणाकर मुळे की यह पुस्तक तमाम मुद्‌दों से टकराते हुए ऐसे कैनवस की रचना करती है, जहाँ विचार-विमर्श अपने सृजनात्मक रूप में संभव हो सके।

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Hardbound

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Publishing Year

2019

Pulisher

Language

Hindi

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