Jaadu Ki Sarkar

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Jaadu Ki Sarkar

Jaadu Ki Sarkar

245.00 182.00

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Author: Sharad Joshi

Availability: 5 in stock

Pages: 144

Year: 2023

Binding: Paperback

ISBN: 9788170282273

Language: Hindi

Publisher: Rajpal and Sons

Description

जादू की सरकार

है भी, मगर नहीं है

लोग एक छोटी सी शिकायत दर्ज कराते हैं कि नल है, मगर उसमें पानी नहीं आता। वे बिचारे नहीं जानते कि इस देश में चीजें होती ही इसलिए हैं कि उसमें वह न हो जिसके लिए वे होती हैं।

नल हैं, मगर पानी नहीं आता। हैंडपंप हैं, मगर चल नहीं रहे। विभाग हैं, काम नहीं करते। टेलिफोन लगाया, लगा नहीं अफसर हैं, मगर छुट्टी पर हैं। बाबू हैं मगर उसे पता नहीं। आवेदन किया था, मंजूर नहीं हुआ। रिपोर्ट लिखायी थी, कुछ हुआ नहीं। जांच हुई थी, रिपोर्ट नहीं आयी। योजना स्वीकृत है, पर बजट मंजूर नहीं है। बजट स्वीकृत है, रुपया नहीं आया। पद है, पर आजकल खाली है। आदमी योग्य था, तबादला हो गया। आफीसर ठीक है, मगर उसके मातहत ठीक नहीं। भई, मातहत तो काम करना चाहते हैं, ऊपर से ऑर्डर नहीं आता। मशीन आ गयी, बिगड़ी पड़ी है। कारखाना है, बिजली नहीं है। करंट है, तार खराब है। उत्पादन हो रहा है, बिक्री नहीं है। मांग है तो पूर्ति नहीं है। पूर्ति कर सकते हैं, कोई डिमांड तो करे !

यात्री खड़े हैं, टिकिट नहीं मिल रहा। टिकिट मिल गया, ट्रेन लेट है। गाड़ी आयी, जगह न थी; जगह मिली, सामान रखा था। एअर का टिकिट लिया वेटिंग लिस्ट में हैं। सीट कन्फर्म हुई, फ्लाइट कैंसल हो गयी। घर पहुँचे तो मिले नहीं। मिले, मगर जल्दी में थे। तार भेजा, देर से पहुँचा। चिट्ठी भेजी, जवाब नहीं आया।

आये, पर आते ही बीमार पड़ गये। इंजेक्शन दिया, पर कुछ फरक न पड़ा। अस्पताल गये, बेड खाली नहीं था। बेड पर पड़े हैं, कोई पूछनेवाला नहीं है। शिकायत करें, मगर कोई सुननेवाला नहीं है। नेता हैं, मिल नहीं सके। सुन तो लिया, कुछ किया नहीं। शिलान्यास हुआ, इमारत नहीं बनी। बिल्डिंग है, मगर दूसरे काम में आ रही। हां, काम चल रहा है, मगर हमें क्या फायदा ! स्कूल है, पर हमारे बच्चे को ऐडमीशन नहीं मिली। पढ़ने गये थे, बिगड़ गये। टीम भेजी थी, हार गयी। प्रोग्राम हुआ था, मगर जमा नहीं। हास्य का था, मगर हंसी नहीं आयी।

पूछा था, बोले नहीं। खबर थी, अफवाह निकली। अपराध हुआ, गिरफ्तारी न हुई। संपादक के नाम पत्र भेजा था, छापा नहीं। कविता लिखी, कोई सुननेवाला नहीं है। नाटक हुआ, भीड़ न थी। पिक्चर लगी, चली नहीं। किताब छपी थी, बिकी नहीं। बहुत ढूँढ़ी मिली नहीं। आयी थी, खतम हो गयी।

क्या करें, कुछ होता नहीं है। कुर्सी पर बैठा, मगर ऊंघ रहा है। फाइल पड़ी है, दस्तखत नहीं हो रहे। फार्म भरा था, गलती हो गयी। क्या बोलें, कुछ समझ में नहीं आता। आवाज लगायी, किसी ने सुना नहीं। वादा किया था, भूल गये। याद दिलायी, तब तक उनका डिपार्टमेन्ट चेंज हो गया था।

फोन किया, मगर साहब बाथरूम में थे। दफ्तर किया, मीटिंग में थे। डिग्री मिल गयी तो नौकरी नहीं मिली। अनुभवी हुए तो रिटायर हो गये।

पैसा बहुत है, मगर ब्लैक का है। पूँजी जुटायी, मगर तब तक मशीन के भाव बढ़ गये। फ्लैट खाली है, किराये से दे नहीं रहे। बेचना है, कोई खरीदार नहीं मिल रहा। लेना चाहते हैं, मगर बहुत महंगा है।

क्या है, क्या नहीं है। कर्फ्यू हटा तो फिर झगड़े हो गये। स्थिति नियंत्रण में है, मगर ख़तरा बना हुआ है। आदमी हैं, मगर मनुष्यता नहीं रही। दिल हैं, मगर मिलते नहीं। देश अपना हुआ, मगर लोग पराये हो गये। आप नल में पानी न होने का कह रहे हैं। साहब, बहुत कुछ है, मगर फिर भी वह नहीं है जिसके लिए वह है।

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Paperback

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2023

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