Jalpari Ka Mayajaal
Jalpari Ka Mayajaal
₹50.00 ₹49.00
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Author: Webster Davies Jyrwa
Pages: 48
Year: 2019
Binding: Paperback
ISBN: 9788126018178
Language: Hindi
Publisher: Sahitya Academy
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Description
जलपरी का मायाजाल
भूमिका
मेघालय राज्य के तीन भाग में से दो भाग खासी और जयन्तिया पहाड़ हैं। यहाँ 45% खासी और 32% गारो हैं। भारत के प्रत्येक राज्य के लोग यहाँ बसे हुए हैं। हम कह सकते हैं कि मेघालय राज्य एक छोटा-सा भारत है, क्योंकि यहाँ भारत की हर जाति, राज्य और भाषा के लोग आकर बसे हुए हैं।
मेघालय राज्य का जन्म 21 जनवरी, 1972 को हुआ था। खासी-जयन्तिया पहाड़ और गारो पहाड़ को मिलाकर यह राज्य बना। पहाड़ों से पटा यह राज्य बहुत ही सुन्दर और रमणीय है। इन पहाड़ों के चारों ओर घने हरे जंगल हैं। यहाँ की नदियाँ धीमी गति से जंगलों का चीरती हुई समतल भूमि की ओर बहती हैं, जिनका मीठा जल यहाँ के मनुष्यों को जीवन देता है। यहाँ के झरने बड़े ही सुन्दर ढंग से ऊपर से नीचे झरते हैं। मैदानों में हमेशा हरियाली छाई रहती है। यहाँ पेड़ों पर लगनेवाले तरह-तरह के और रंग-बिरंगे छनदुवहा (ऑर्किड) के फूल खिलते हैं। खासी लेखकों ने उन पहाड़ों, नदियों, झरनों और चिड़ियों को लेकर तरह-तरह की कहानियाँ लिखी हैं, जिन्हें आज भी लोग बड़े चाव से पढ़ते हैं।
खासी मातृ प्रधान प्रजाति है। परन्तु स्त्री-पुरुष दोनों ही मिलकर सारा काम-काज करते हैं। दोनों ही दिनभर कड़ी मेहनत करते हैं। यहाँ की स्त्रियाँ घर-गृहस्थी सँभालती हैं और बाहर के कामों में भी पुरुषों के साथ हाथ बँटाती हैं। पुरुष घर का प्रधान होता है। उसे पत्नी और बच्चों के अलावा अपने भाई-बहनों को भी सँभालना पड़ता है। पुरुष को सिर्फ़ अपनी पत्नी के घर में नहीं, बल्कि अपनी माँ के घर में भी प्रधान का अधिकार प्राप्त है। उसकी हुकूमत चलती है और बड़े-छोटे सभी उसका सम्मान करते हैं।
खासी लोगों की अपनी भाषा खासी है, जिसके अक्षर रोमन लिपि में लिखे जाते हैं। अब इस भाषा में बहुत-सी किताबें और कई समाचार-पत्र प्रकाशित हो रहे हैं।
खासी लोककथाएँ पुरखों से चली आ रही हैं। मैंने कई पुरानी लोककथाएँ संकलित करके उन्हें किताब के रूप में तैयार किया है। कहानी ‘जलपरी का मायाजाल’ मेरी अपनी ही चिन्ताधारा से प्रवाहित है। पुराने ज़माने से लोगों का परियों के प्रति जो आकर्षण और प्यार है, वह मैंने अपनी रचनाओं में साकार रखने की कोशिश की है।
मेघालय की एक जनजाति शिक्षिका श्रीमती आलमा सुहिल्या इन कहानियों का अनुवाद किया है। मेघालय के नामी सरकारी स्कूल पाईनमाउंट में हिन्दी पढ़ाती हैं और राष्ट्रभाषा प्रचार में जुटी हैं। ये आकाशवाणी के कार्यक्रमों के जरिए खासी लोगों को हिन्दी सिखा रही हैं।
कहानियों का हिन्दी रूपान्तर करते हुए यह प्रयास किया है कि कहानियों का मूल भाव नष्ट न हो।
– वेबस्टार डेविस जीरवा
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2019 |
Pulisher |
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