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जमीन और पानी के दरमियान
श्रीधर नांदेड़कर की कविताएँ सूक्ष्म अवलोकन के साथ-साथ कहन के नये तरीकों का आविष्कार करती हैं और समकालीन जीवन के लिए एक नये रूपक की खोज करती हैं। प्रख्यात मराठी कवि श्रीधर नांदेड़कर की कविताओं के हिन्दी अनुवाद का पुस्तक रूप में प्रकाशन एक महत्त्वपूर्ण घटना है। मराठी से अधिक यह हिन्दी समाज के लिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि नदी या भाषा वही पृथुला होती है जिसमें अनेक नदियों या भाषाओं के जल आकर मिलते रहते हैं। किसी भी इतर भाषा से अपनी भाषा में रूपान्तर अपनी भाषा को नयी, भिन्न उर्वर दृष्टि तथा चेतना और भावबोध से सम्पन्न करता है। श्रीधर नांदेड़कर की कविताएँ हिन्दी कविता को नये भावबोध से परिचित कराती हैं। सुनीता डागा के समर्थ एवं समतुल्य अनुवाद मराठी कविता के एक पृथक् स्वाद से हमें समृद्ध करते हैं।
Additional information
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Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Pulisher | |
Publishing Year | 2023 |
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