Jeenkathi Tatha Anya Kahaniyan

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Jeenkathi Tatha Anya Kahaniyan

Jeenkathi Tatha Anya Kahaniyan

200.00 170.00

In stock

200.00 170.00

Author: S.R Harnot

Availability: 5 in stock

Pages: 140

Year: 2012

Binding: Hardbound

ISBN: 9788176753630

Language: Hindi

Publisher: Aadhar Prakashan

Description

जीनकाठी तथा अन्य कहानियाँ

कहानी में सरल और सहज होना जितना कठिन हैं, कठिन और जटिल होना उतना ही सरल। एस.आर. हरनोट की कहानियां पढ़ते हुए बार-बार इसका अहसास होता है। उनके सहज कथन और सरल शिल्प तक पहुंचना एक अजीब तरह का अनुभव देता है। प्रेमचन्द के होने के एक सौ पच्चीस साल बाद भी हरनोट की अनायासता की छवि एक बड़े कथाकार की सभी सम्भावनाओं से भरपूर है। हिन्दी कहानी अपने विकास के दौर में अजीबोगरीब प्रतीकात्मकता, अमूर्तन और नवोन्मेष की खोज से गुजरती रही है। जहां से लुम्पेनिज्म, व्यक्तिवाद, रोमांस और अतिरंजित कथानकों की होड़ ख़त्म होती है, वहीं से हरनोट की कहानियां अपने सादा लिबास में शुरू होती हैं। जिन कथानकों को हम नजरअंदाज करने पर तुले होते हैं, या फन और फैशन के कारण, एक चलती लीक वर पकड़ बनाए रखने के कारण जिन्हें छोड़े रहते है, वे सहसा हरनोट की कहानियों में हमारे सामने आ जाते हैं। हिन्दी क्षेत्र का भूगोल इतना विस्तृत, बीहड़ और ऊबड़-खाबड़ है कि उसमें कई कई ‘समय’ एक साथ यात्रा पर होते हैं। बड़ा कहानीकार वह होता है जो अपने ‘समय-सत्य’ के साथ किन्हीं इतर लालचों के कारण बेईमानी न करे। उससे मुंह न मोड़े। और हरनोट यही करते हैं। अतः उनके ‘पाठ’ के मानदण्ड भी उसी के भीतर से निकलते हैं।

मुझे बार-बार लगता है कि हिमाचल का अप्रतिम सौंदर्य कथा-रचना के लिए घातक है। उसकी घटाटोप हरियाली, देवदारुओं के घने वन, उसकी घरघराती नदियां और ऊपर से अचानक पारे की तरह गिरते झरने, उसकी अभूतपूर्व प्रशांति, उसकी स्तब्ध कर देने वाली पर्वत-छवियों में यथार्थ की तह तक पहुँचना और उसे ढूंढ़ निकालना, और फिर उसे एक कला-संरचना में रूपांतरित करना अत्यंत कठिन काम है। मैं अक्सर सोचता हूं कि गुलेरी को अपनी महान कहानी के लिए अमृतसर के तांगे वालों और प्रथम विश्वयुद्ध में मोर्चे पर डटे भारतीय फौजियों की खाइयों में क्यों जाना पड़ा ? यशपाल क्यों विभाजन की विभीषिका, दादा कॉमरेडों, बौद्ध भिक्षुणियों और हिमाचल के नीचे मैदानी कथानकों में उतर गए ? निर्मल वर्मा ने पर्वत-छवियों का कवित्वमय अंकन करते हुए क्‍यों उसकी प्रशांति और घुघ का अमूर्तन करते हुए उस छवि का वैश्वीकरण कर दिया ?

हरनोट हमारे बीच ऐसे कथाकार हैं जो इस घातक सौंदर्य के भीतर घुसकर यथार्थ को पकड़ लाते हैं और उसकी संरचना में सक्षम हैं। वे अक्सर अपनी कहानियों में जाने-माने तर्क और मनोविज्ञान के विपरीत एक अलग तरह की ‘डिवाइस’ का इस्तेमाल करते हैं। यहीं पर हरनोट हरनोट हैं।

– प्रो. दूधनाथ सिंह

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2012

Pulisher

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