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जीवन में सुख की खोज
मनुष्य के जीवन में सुख की खोज के दो आयाम हैं-पहला भौतिक सुख तथा दूसरा मानसिक शान्ति। इसी प्रकार से जीवन के भी दो आयाम हैं-एक सुखी जीवन और दूसरा सफल जीवन।
मनुष्य अपने जीवन में सुख-भोग करता हुआ आत्मोन्नति के मार्ग पर चलता रहे-यही सफल जीवन की प्रगति का पर्याय है। मनुष्य के लिए केवल भौतिक रूप से सुखी जीवन ही पर्याप्त नहीं हैं। इसी कारण उसे शान्ति नहीं मिलती। सही अर्थों में शान्ति अथवा सुख की खोज मानसिक एवं आत्मिक तल की होनी चाहिए अन्यथा जीवन का उद्देश्य पूर्ण नहीं होता। भोग-उपभोग, विलासिता और स्वार्थ की वृत्ति से ऊपर उठकर चेतना के विकास की ओर निरन्तर बढ़ाते जाना ही जीवन में सुख की खोज है।
जीवन एक अबूझ पहेली है जिसने इसके रहस्य को समझ लिया उसी का जीवन सुखमय तथा शान्त जीवन है। जीवन आयु का भी नाम नहीं है; आयु तो सबकी निश्चित है, उसे बढ़ाया नहीं जा सकता; जितना समय हमारे पास है उसका सदुपयोग करने से ही जीवन में शान्तिदायक सुख की खोज पूरी होती है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2015 |
Pulisher |
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