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Description
जिन्दा है तो सड़कों पे आ
बल्ली चीमा जी एक ऐसे जनकवि हैं जिन्होंने अपने शब्दों से चिंगारियाँ उछालकर मशालें जलायी हैं। ले मशालें चल पड़े हैं – जनगीत सभी आन्दोलनकारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर रहा है। चीमा जी ने एक वर्ष तक किसान आन्दोलन में सक्रिय रहकर दो भूमिकाएँ एकसाथ निभायी हैं – किसान की और कवि की। आत्महत्या ही नहीं किसानों की हर समस्या, हर सवाल को उनके गीतों ने बेबाकी से उजागर किया है; सामाजिक कटिबद्धता, विचारों की व्यापकता तथा गहराई से लिखे उनके हर गीत से होगा नया जागर किसानी बचाने का। बल्ली जी की शब्दबद्ध भावना और विचार बनेंगे किसान आन्दोलन के नये दौर का आधार।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Pulisher | |
Publishing Year | 2023 |
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