Jis Ummid Se Nikla

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Jis Ummid Se Nikla

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295.00 240.00

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Author: Dr. Lehri Ram Meena

Availability: 5 in stock

Pages: 112

Year: 2022

Binding: Hardbound

ISBN: 9789387919785

Language: Hindi

Publisher: Bhartiya Jnanpith

Description

जिस उम्मीद से निकला

‘जिस उम्मीद से निकला’ डॉ. लहरीराम मीणा का पहला कविता संग्रह है। इस कविता संग्रह से पहले उनकी आलोचना की पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। जिन्हें देखकर ये सहज ही कहा जा सकता है कि रंग-अध्ययन और रंग-चिन्तन में उनकी रूचि अधिक है। रंग आलोचना-समझना चाहना उनका पहला प्रेम है। वे कहीं इस बात को स्वीकार करते हैं कि ये भी ग्लोबल गाँव में रहते हैं। लेकिन लोकल गाँव उनकी रग-रग में रचा बसा है। गाँव की मासूमियत, संस्कार, संसार को देखने की दृष्टि सम्बन्धों-सरोकारों की प्राण-शक्ति, अपनापन और वह सब कुछ जो गाँव की पहचान भी है और उसे परिभाषित भी करता है, उनकी स्मृति का अभिन्न अंग है। यह बात ज़्यादा ग़लत नहीं कि वह गाँव ग़ुम हो गया है जहाँ कहीं पेड़, तालाब आदि में बचा है वह भी स्मृति शेष ही की तरह है। लेकिन कवि की स्मृति में वह ठीक वैसा ही आनन्द है जैसा पूर्वजों के समय में या उनके बचपन में था। उनका प्रेम ‘नहीं जानता’ कि क्यूँ किसी का स्रोत जीवन में सब अच्छा होने जैसा है? उनका मानना है कि ‘एक दूसरे के लिए सोचना ही प्रमाण है। दोनों की उपस्थिति का।’ यह शायद इसी सोच का परिणाम है कि उन्हें बाहर के संघर्ष की अपेक्षा अन्दर के संघर्ष से डर लगता है। संग्रह की बेशतर कविताएँ पढ़कर लगता है कि लहरीराम मीणा किसी गाँव या शहर के कवि नहीं बल्कि स्मृतियों के शहर के कवि हैं। जहाँ प्रेम है, पुस्तक है, पेड़ हैं, पूर्वजों की विरासत सीर का घर है शब्द और उनके अर्थ हैं और है सरल स्पष्ट भाषा में अपने होने की अभिव्यक्ति का प्रमाण—शहर में गाँवों का संस्कारित जीवन।

—शीन काफ़ निज़ाम

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Hardbound

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Language

Hindi

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Publishing Year

2022

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