- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
Description
जिया जले गीतों की कहानियाँ
एक महान गीतकार, शायर और फ़िल्मकार गुलज़ार—हमारे जज़्बात को अल्फ़ाज़ का जामा पहनानेवाले शख़्स—उनके गानों ने लाखों-करोड़ों लोगों के दिल को छुआ है, आधी सदी से ज़्यादा वक़्त हुआ, उनकी लोकप्रियता की चमक लगातार कायम है। इस पुस्तक में लेखक और डॉक्यूमेंट्री फ़िल्मों की निर्देशक नसरीन मुन्नी कबीर ने गुलज़ार से बातें की हैं और गुलज़ार ने अपने कुछ सबसे मशहूर गानों के बारे में बताया है—चाहे वो ‘मोरा गोरा अंग लै ले’ (बंदिनी : 1963) हो या फिर ‘दिल ढूँढ़ता है’ (मौसम : 1975), ‘जिया जले’ (दिल से : 1998) और ‘दिल तो बच्चा है जी’ (इश्क़िया : 2010)। उन्होंने शैलेंद्र और साहिर लुधियानवी जैसे कुछ दूसरे महान गीतकारों, सचिन देव बर्मन, राहुल देव बर्मन, हेमंत कुमार और ए.आर. रहमान जैसे संगीतकारों और लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी, आशा भोसले, वाणी जयराम, जगजीत सिंह और भूपिंदर सिंह जैसे गायकों के बारे में बातें भी की हैं। इस किताब में ढेर सारे क़िस्से हैं, विचार हैं, विश्लेषण है और हैं चालीस से ज़्यादा गीत। ये पुस्तक छात्रों और हिन्दी सिनेमा, संगीत और कविता के दीवानों के लिए एक ख़ज़ाना है।
Additional information
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2023 |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.