Kabir Sagar

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Kabir Sagar

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Author: Swami Yuglanand

Availability: 5 in stock

Pages: 2056

Year: 2021

Binding: Hardbound

ISBN: 0

Language: Hindi

Publisher: Khemraj Shrikrishnadas

Description

कबीर सागर

तहँवा रोग सोग नहिं होई। क्रीडा विनोद करे सब कोई।।

चंद्र न सूर दिवस नहिं राती। वरण भेद नहिं जाति अजाती।।

तहँवा जरा मरन नहिं होई। बहु आनंद करैं सब कोई।।

पुष्प विमान सदा उजियारा। अमृत भोजन करत अहारा।।

काया सुन्दर ताहि प्रमाना। उदित भये जनु षोडस भाना।।

इतनौ एक हंस उजियारा। शोभित चिकुर तहां जनु तारा।।

विमल बास तहँवां बिगसाई। योजन चार लौं बास उड़ाई।।

सदा मनोहर क्षत्र सिर छाजा। बूझ न परै रंक औ राजा।।

नहिं तहाँ काल वचनकी खानी। अमृत वचन बोल भल वानी।।

आलस निद्रा नहीं प्रकासा। बहुत प्रेम सुख करैं विलासा।।

साखी-अस सुख है हमरे घरे, कहै कवीर समुझाय।

सत्त शब्द को जानिके, असथिर बैठे जाय।।

 

चौपाई

सुन धर्मनि मैं कहौं समुझाई। एक नाम खोजो चित लाई।।

जिहिं सुमिरत जीव होय उबारा। जाते उतरौ भव जल पारा।।

काल वीर बांका बड़ होई। बिना नाम बाचै नहिं कोई।।

काल गरल है तिमिर अपारा। सुमिरत नाम होय उजियारा।।

काल फांस डारै गल माहीं। नाम खड्ग काटत पल माहीं।।

काल जँजाल है गरल स्वभाऊ। नाम सुधारस विषय बुझाऊ।।

विषकी लहर मतो संसारा। नहिं कछु सूझे वार न पारा।।

सूर नर माते नाम विहूना। औंट मुये ज्यों जल बिन मीना।।

भूल परें पाखँड व्यवहारा। तीरथ वृत्त औ नेम अचारा।।

सगुण जोग जुगति जो गावै। विना नाम मुक्ती नहिं पावै।।

साखी-गुण तीनों की भक्ति में, भूल परयो संसार।

कहँ कवीर निज नाम विन, कैसे उतरै पार।।

 

सत्य

सत्यसुकृत, आदि अदली, अजर, अचिन्त, पुरुष,

मुनीन्द्र, करुणामय, कबीर, सुरति, योग संतायन,

धनी धर्मदास, चूरामणिनाम, सुदर्शन नाम,

कुलपति नाम, प्रमोधगुरुबालापीरनाम, कमल-

नाम, अमोलनाम, सुरतिसनेहीनाम, हक्कनाम,

पाकनाम, प्रकट नाम, धीरज नाम,

उग्र नाम, दयानामसाहबकी दया,

वंश व्यालीसकी दया।

 

अथ ज्ञानसागर प्रारम्भः

सोरठा-सत्यनाम है सार, बूझो संत विवेक करि।

उतरो भव जल पार, सतगुरुको उपदेश यह।।

सतगुरु दीनदयाल, सुमिरो मन चित्त एक करि।

छेड़ सके नहिं काल, अगम शब्द प्रमाण इमि।।

बंदौं गुरु पद कंज, बंदीछोर दयाल प्रभु।

तुम चरणन मन रंज, जेत दान जो मुक्ति फल।।

 

चौपाई

मुक्ति भेद मैं कहौं विचारी। ता कहँ नहिं जानत संसारी।।

बहु आनंद होत तिहिं ठाऊँ। संशय रहित अमरपुर गाऊँ।।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2021

Pulisher

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