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Description
काफिर
प्रकाशकीय
श्री रामजीदास पुरी उपाख्य सय्याह सुनामी मूलतः उर्दू के ख्यातनाम साहित्यकार थे। वे उपन्यासकार भी थे और कवि भी। दो बार पंजाब सरकार ने और एक बार भारत सरकार ने उन्हें सम्मानित किया। पंजाब सरकार ने प्रथम बार तो उन्हें ऐतिहासिक उपन्यास ‘परायी तलवार’ पर पुरस्कृत किया था, और दूसरी बार पंजाब के श्रेष्ठतम साहित्यकारों की सूची में उनका नाम सम्मिलित कर के सम्मानित किया। 1971 में भारत सरकार के शिक्षा मन्त्रालय ने उनकी रचना ‘एक औरत एक कयामत’ पर उन्हें साहित्यिक पुरस्कार देकर उन्हें सम्मानित किया।
‘सुनामी’ जी ने भारतीय इतिहास के विभिन्न काल खण्डों को अपने उपन्यासों का विषय बनाया है। ऐतिहासिक तथ्यों के इर्द-गिर्द वे कथा का ऐसा ताना-बाना बुनते हैं कि इतिहास की अनेक उलझी गुत्थियाँ पाठक के मन में स्वतः ही सुलझती जाती हैं। वे निराशा को आशा में तथा उदासीनता को कर्मण्यता में बदल देते हैं। अन्तःकरण के अन्धकार में उत्साह की ज्योति प्रज्वलित कर देते हैं।
सुनामी जी का मूलमन्त्र था-ऊँ राष्ट्राय स्वाहा। अपनी सभी कृतियों में इन्होंने इसी मन्त्र को प्रतिध्वनित किया है। इतना ही नहीं, वो अपनी जीवन-यात्रा के समापन के पूर्व उन्होंने अपनी कृतियों के उत्तराधिकार को भी राष्ट्रार्पित कर दिया। कथनी और करनी एक हो गए।
धन्य हैं वे।
उनके तीन उपन्यासों का हिन्दी रूपान्तरण सर्वप्रथम उनके मित्र व अध्यापक दिल्ली के श्री रामस्वरूप भारद्वाज जी ने साठ के दशक में प्रकाशित किया था। वे उपन्यास थे ‘आखिर जीत हमारी’, ‘उड़ता त्रिशूल’ और ‘हेमचन्द्र विक्रमादित्य’। बाद में सत्तर के दशक में दिल्ली के ही श्री रामतीर्थ भाटिया जी (राजधानॉ ग्रन्थगार) ने उपरोक्त तीनों तथा अन्य भी उनके उपन्यास प्रकाशित किए। श्री भारद्वाज तथा श्री भाटिया दोनों ही मेरे परम मित्र थे। श्री भाटिया सन् २००२ में तथा श्री भारद्वाज २००५ में दिवंगत हो गए। दिवंगत होने से पूर्व श्री रामतीर्थ भाटिया ने मुझे बहुत आग्रह किया कि उनके प्रकाशनों का भी दायित्व में सम्भाल लूँ। तब मैंने कोई ध्यान नहीं दिया। मुझे नहीं ज्ञात था कि वे इतनी जल्दी संसार से विदा हो जाने वाले हैं।
अब श्री भाटिया की ही अन्तिम इच्छा (अथवा आदेश) का पालन करते हुए सुनामी जी के सभी उपन्यासों का प्रकाशन करने का हमने निश्चय कर लिया है। सुनामी जी, रामतीर्थ भाटिया जी तथा रामस्वरूप भारद्वाज जी-तीनों को हमारी यह विनम्र श्रद्धांजलि है।
– कृष्णानन्द सागर
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2016 |
Pulisher |
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