Kagzi Burj

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Kagzi Burj

Kagzi Burj

130.00 100.00

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Author: Meera Kant

Availability: 5 in stock

Pages: 151

Year: 2010

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126318896

Language: Hindi

Publisher: Bhartiya Jnanpith

Description

कागजी बुर्ज

‘कागजी बुर्ज’ की कहानियाँ स्थापित मूल्यों के गिरते बुर्जों पर चिपके कागजी पैबन्दों के सुराग खोजती हैं। वो बुर्ज चाहे स्त्री को महिमामंडित करनेवाली खोखली परम्पराओं की आड़ हों या जीवन-सम्बन्धों की जीर्णशीर्ण दन्तकथाएँ।

मीरा कांत के इस दूसरे संग्रह की ये कहानियाँ वस्तुतः स्त्री और किसी न किसी रूप में मात खाये हुए मानव मन की उबड़-खाबड़ संरचना की अनवरत यात्रा है। चाहे भीतरी ज़मी स्मृतियों के किनारे बसा डायस्पोरा का दर्द हो, इतिहास के गर्त में दबी-घुटी दूर से आती कोई आर्त पुकार हो अथवा जीवन-संघर्ष में सामान्य-असमान्य को जुदा रखनेवाली लकीर पर चलते हुए लगभग सन्धिप्रदेश की दुनिया में जा पहुँची किसी स्त्री की बेबस तन्हा ज़िन्दगी हो-ये सब सार्थक पड़ाव हैं उस रचनात्मक यात्रा के जो दुर्गम ऊँचाइयों और गहरी खाइयों के फासले तय करती है।

ये कहानियाँ आतंक पैदा करनेवाले उन प्राचीनों और बुर्जों के लिए कोई अकेली चुनौती न बनकर अनगिनत बन्द पलकों को खोलने का आह्वान हैं। इनका गोचर-अगोचर पाठ मजबूर ज़िन्दगियों के चेहरों पर लिखे शोकगीतों को मुखर करता है, इस हद तक कि उसका संघर्ष पाठकों के भीतर भी धड़क उठे।

मीरा कांत का गल्प गद्य और पद्य के बीच चले आ रहे सदियों पुराने मनमुटाव को भुलाने का एक सफल प्रयास है।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2010

Pulisher

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