Kahani Ke Aaspass

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Kahani Ke Aaspass

Kahani Ke Aaspass

160.00 122.00

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160.00 122.00

Author: Karmendu Shishir

Availability: 5 in stock

Pages: 160

Year: 2018

Binding: Paperback

ISBN: 9789387145474

Language: Hindi

Publisher: Nayeekitab Prakashan

Description

कहानी के आसपास

प्रेमचंद और प्रेमचंद के बाद मोटे तौर पर कहानी का विकास तीन धाराओं में माना जाता है। एक धारा जैनेन्द्र और इलाचंद्र जोशी वाली व्यक्तिवादी थी तो दूसरी यशपाल, अश्क, रांगेय राघव और नागार्जुन की मार्क्सवादी। इन दोनों से भिन्न भगवतीचरण वर्मा, हजारी प्रसाद द्विवेदी और अमृतलाल नागर जैसे कथाकारों की जातीय राष्ट्रवादी धारा भी बताई जाती है। इस पृष्ठभूमि में नई कहानी का जो आंदोलन सामने आया उसमें रांगेय राघव को छोड़कर शेष सभी रचनाकारों की आलोचना या उपेक्षा की गई। नई कहानी के आंदोलन में परंपरा से अलगाव पर इतना अधिक जोर दिया गया कि प्रेमचंद पर भी प्रश्नचिन्ह लगाए गए। सचमुच इस ‘नई’ ने उस दौर में ऐसी हलचल मचाई कि वह साहित्य की केंद्रीय धारा ही बन गई।

नई कहानी आंदोलन की हलचलों के बीच से गुजरना आज भले उतना रोमांचकारी नहीं रहा, लेकिन उसकी पड़ताल निःसंदेह दिलचस्प है। यह बात भी माननी पड़ेगी कि कहानी के पूरे दौर में इतना महत्वपूर्ण विचार–विमर्श कभी नहीं हुआ। इस आंदोलन की एक अत्यंत रोचक बात यह थी कि राजेन्द्र यादव, मोहन राकेश और कमलेश्वर ने नाम, नेतृत्व और बहस इस होशियारी से किया कि उन्हें नेतृत्व का गौरव मिला और तमाम समकालीन उनके साथ या ‘पीछे’ शुमार किए गए। जबकि न तो अन्य महत्वपूर्ण समकालीन कथाकार इनसे सहमत थे, न ही उनकी हैसियत ही इन तीनों से कम थी। कुछ तटस्थ रहकर अपनी रचना में रत रहे। स्वभावत यह मुद्दा तीखी बहस का विषय बन गया। इस बहस में एक ओर इन तीनों का ध्रुवीकरण तो था – मगर शेष रचनाकार अलग और स्वतंत्र ही विरोध करते रहे अथवा विरोध न किये तो भी इनके साथ न रहे। अंततः यह नाम चल पड़ा और तमाम विरोधों के बावजूद इतिहास का हिस्सा बन गया।

– इसी पुस्तक से

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Paperback

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2018

Pulisher

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