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Description
कैफियात
अपने समकालीन श्रेष्ठ कवियों में कैफ़ी आज़मी का नाम बहुत सम्मान के साथ लिया जाता है। कैफ़ी ने प्रगतिशील उर्दू कविता का माथा बहुत ऊँचा किया है और उसको बहुत शक्तिसम्पन्न बनाया है। फ़ैज़ की नज़्मों में ग़ज़ल की-सी लाक्षणिकता, शिल्प-लाघव और प्रतीकों के व्यंग्यार्थ मिलते हैं; इसीलिए कुछ और भी, विषम वर्ग संघर्ष झेलनेवालों की कसक, पीड़ा और उम्मीद की चमक…जैसे चिंगारियाँ उड़ती हों…अपनी त्रासदिक मोहिनी से हमें विकल कर देती हैं। या मख़दूम…मख़दूम मुहीउद्दीन का अपना खरा समर्पित व्यक्तित्व अनायास ही हर इन्कलाबी का प्रतिनिधि व्यक्तित्व-सा बन जाता है, और तब शायरी की ज़मीन से वह कुछ ऊपर उठ जाता है…शायरी की ज़मीन को भी शायद कुछ ऊपर उठाते हुए।
कैफ़ी का अन्दाज़-ए-बयाँ कुछ और है। इन सबों से न्यारा। वह भावनाओं की पवित्रता, मुहावरे की शुद्धता और भाषा के स्वाभाविक सौन्दर्य और सौष्ठव और इनकी परम्परा की ख़ूबसूरती को बरक़रार रखते हुए, एक आम दर्दमन्द इन्सान से एक आम दर्दमन्द इन्सान की तरह मिलता है…अपनी कविताओं में…एक जाने-पहचाने रफ़ीक़ और दोस्त की तरह…बिलकुल हमारे दिल की बातों को गुनगुनाते हुए, कुछ हमारे ही दिल के लहजे में। और सबसे बड़ी बात: उसके पास, इन सारी कैफ़ियत में, एक साफ़ दृष्टि और साफ़-स्पष्ट दिशा है…कि वह हमें कभी नहीं भटका सकता ! हम आश्वस्त हैं।
– शमशेर बहादुर सिंह
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2019 |
Pulisher |
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