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Description
कैवर्तखंड
यह उपन्यास मध्यकालीन बंगाल में विभिन जनजातियों की स्थिति और उनके ऐतिह्य को आधार बनाकर लिखी गई उपन्यास-श्रृंखला की एक कड़ी है।
इसमें ग्यारहवीं सदी के उत्तरार्द्ध से बीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध के बीच घटे एक महान् विद्रोह की कहानी कही गई है। यह कहानी है कैवर्त-विद्रोह की। कैवर्तों ने स्वतंत्र कैवर्त राज्य की स्थापना की थी। सुख, समृद्धि और समता से पूर्ण था कैवर्त राज्य। उनके राजा भीम को ‘वरेंद्री का सूर्य’ कहा जाता था।
राढ़देश के राजा रामपाल के साथ अन्य बारह राजाओं और सामंतों ने कैवर्त राज्य को बलपूर्वक कुचल दिया। ब्राह्मण-क्षत्रिय के अतिरिक्त किसी निम्नवर्ण का राजा राज करे, यह उन्हें सह्य न था। राजधानी वरेंद्री को धूल में मिला दिया गया। भीम और उसके परिजनों में से प्रत्येक को, बच्चों को भी, मौत के घाट उतार दिया गया। यह एक ऐतिहासिक तथ्य है।
महाश्वेता देवी के अनुसार-“कैवर्त-विद्रोह बांग्ला समाजेतिहास की अत्यंत महत्त्वपूर्ण घटना है।…अगर वे पराजित न होते तो नगर-रचना, जीवन-पद्धति, शिल्प और संस्कृति-सब कुछ का एक पूर्णतया देशज स्वरूप सामने आता।”
इसी जन-विद्रोह की कथा, विशेषतः उसके गौरव और अवसान, को महाश्वेता देवी ने स्वर दिया है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2013 |
Pulisher |
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