Kali Chhoti Machhli

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Kali Chhoti Machhli

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350.00 265.00

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350.00 265.00

Author: Nasira Sharma

Availability: 5 in stock

Pages: 162

Year: 2014

Binding: Hardbound

ISBN: 9789350005125

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

काली छोटी मछ्ली

दो शब्द

(प्रथम संस्करण)

समद से मेरी पहचान का रिश्ता उतना ही पुराना है जितना ईरान से। समद तक पहुँचने का काम मेरी अपनी कहानी ‘संसार अपने अपने’ (जो आज से बीस वर्ष पहले बाल पत्रिका ‘नंदन’ में छपी थी) ने किया था उसका फारसी अनुवाद सुनकर बड़ी खामोशी से एक विशेष वर्ग के बुद्धिजीवियों का घेरा मेरे चारों तरफ खिंचने लगा। यह 1976 की बात है। दो वर्ष बाद 1979 में जब मैं ईरान गई तब वहाँ धरती में दबा ज्वालामुखी फटने लगा और क्रान्ति के उस दौर में वह सारे बुद्धिजीवी पहचान में आ गये कि यह तो भूमिगत संघर्षरत क्रान्तिकारी थे जो बरसों से इस दिन का इन्तज़ार कर रहे थे। उसी दौर में जाने कितने नये नामों से सेरा परिचय हुआ।

1980 में जब ईरान तीसरी बार गई तो समद से गहरी पहचान हुई। अभी तक मैंने जो कहानियाँ पढ़ी थीं वे सिर्फ मज़ेदार लोक-साहित्य या फिर हास्य-व्यंग्य की थीं। इसी साल मुझे उनका सारा महत्त्वपूर्ण साहित्य पढ़ने को मिला। जब काली छोटी मछली (1981) में पढ़ी तब अहसास जागा कि मेरी कहानी ‘संसार अपने अपने’ में वास्तव में ऐसा क्‍या था जो भूमिगत बुद्धिजीवी मुझसे इतनी कुरबत का अहसास करने लगे थे। एक ईरानी पत्रकार ने एक लेख लिखा था, ‘भारतीय समद’ नासिरा शर्मा इन सारी बातों ने समद से मेरा रिश्ता दिन-प्रतिदिन गहरा वनाया और दुःख को बढ़ाया कि काश ! समद जीवित होते तो जाने कितने सवाल मैं उनसे करती। मुझे ईरान के तीन बुद्धिजीवियों से न मिल सकने का दुःख हमेशा बना रहेगा क्योंकि मेरे फारसी जानने से पहले ही वह दुनिया छोड़ गये। पहले समद, दूसरी फरोग फरुखजाद तीसरी मर्जियह उस्कोई।

समद की कहानी ‘काली छोटी मछली’ को पढ़ते समय मुझे महसूस हुआ था जैसे मैं ख़ुद काली छोटी मछली हूँ। ऊँची दीवारों और सुरक्षित घर की ज़िन्दगी से निकलकर एक विस्तृत दुनिया को देखने की मेरी ललक ने ही मुझे खतरों से भरी परिस्थितियों की तरफ आकर्षित किया था। जिसने न केवल विश्व विस्तार से मेरा परिचय कराया बल्कि मुख्तलिफ लोगों को देखने-समझने का अवसर प्रदान किया। जिसने मेरे व्यक्तित्व को न केवल बहुआयामी बनाया बल्कि मेरे अन्दर छुपी दुनिया की पर्त्तों को खोल मुझे कुंठारहित बनाने में सहायता दी।

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Authors

Binding

Hardbound

Language

Hindi

ISBN

Publishing Year

2014

Pages

Pulisher

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