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Description
काली किताब
शैतान का दावा है कि मेरा रास्ता ही सर्वोपरि कल्याणकारी है। उसका कहना है कि जो जितना ही ईश्वर-भक्त है-सत्य, ज्ञान, धर्म और न्याय के मार्ग पर चलनेवाला-वह उतना ही दुखी, पीड़ित, त्रस्त और दरिद्र है; लेकिन जो जितना ही मेरे रास्ते पर चलने वाला है, वह उतना ही सुखी और समृद्ध!… और अब, जबकि हर व्यक्ति सुख-समृद्धि के लिए पगलाया घूम रहा है, क्या हमें शैतान की राह पर ही चलना होगा ?
सुप्रसिद्ध लेखक कार्टूनिस्ट और चित्रकार आबिद सुरती की यह बहुचर्चित व्यंग्यकृति, जिसे उसने शैतान की रचना कहा है, बहुत ही अनूठे तरीके से हमारी आज की दुनिया पर शैतानी गिरफ्त का प्रमाण पेश करती है। इससे गुजरते हुए हम न सिर्फ मानव-सभ्यता के पुराकालीन जीवनादर्शो के छदम को उजागर होता हुआ देखते हैं बल्कि अपने नग्न और मूल्यहीन वर्तमान को भी आश्चर्यजनक ढंग से पहचान जाते हैं।
वस्तुतः यह किताब ‘काली’ ही इसलिए है कि इसका हर पन्ना हमारी परंपरागत दृष्टि को अपनी उज्जवल चमक से चौधियाने की ताकत रखता है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2009 |
Pulisher |
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