Kalpataru Ke Utsavaleela : Ramkrishna Paramhansa
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Description
कल्पतरु की उत्सवलीला
अनुशीलन और ललित निबन्ध के क्षेत्र में विशिष्ट अवदान के लिए प्रतिष्ठित डॉ. कृष्णबिहारी मिश्र की यह कृति उनके लेखन में नया प्रस्थान है, संवेदना और शिल्प की एक नयी मुद्रा। शोध लालित्य का एक अनुपम समन्वय। श्री रामकृष्ण परमहंस के जीवन–प्रसंग पर केन्द्रित, अब तक प्रकाशित साहित्य से सर्वथा भिन्न यह प्रस्तुति अपनी सहजता और लालित्य में विशिष्ट है। श्री रामकृष्ण नवजागरण के सांस्कृतिक नायकों के बीच अद्वितीय थे। उनके सहज आचरण और ग्राम्य बोली–बानी से जनमे प्रकाश का लोक-मानस पर जितना गहरा प्रभाव पड़ा है उतना बौद्धिक संस्कृति-नायकोंकी पण्डिताई का नहीं। पण्डितों की शक्ति और थी, पोथी-विद्या को अपर्याप्त माननेवाले श्री रामकृष्ण की शक्ति और। एक तरफ तर्क और वाद थाः दूसरी ओर वाद निषेध की आकर्षक साधना थी। सम्प्रदाय सहिष्णुता दैवी विभूति के रूप में श्री रामकृष्ण के व्यक्तित्व में मूर्त हुई थी, जिसे विश्व–मानव के लिए ‘विधायक विकल्प’ के रूप में, कृष्णबिहारी मिश्र ने ऐसी जीवन्तता के साथ रचा है कि उन्नीसवीं शती का पूरा परिदृश्य और परमहंस देव का प्रकाशपूर्ण रोचक व्यक्तित्व सजीव हो उठा है।
ज्ञानपीठ आश्वस्त है, नितान्त अभिनव शिल्प में रचित यह कृति, उपभोक्ता सभ्यता के आघात से कम्पित समय में, प्रासंगिक मानी जाएगी।
Additional information
Authors | |
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ISBN | |
Binding | Hardbound |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2017 |
Pulisher |
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