Kandhe Par Baitha Tha Shap

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Kandhe Par Baitha Tha Shap

Kandhe Par Baitha Tha Shap

135.00 105.00

In stock

135.00 105.00

Author: Meera Kant

Availability: 4 in stock

Pages: 163

Year: 2010

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126318957

Language: Hindi

Publisher: Bhartiya Jnanpith

Description

कन्धे पर बैठा था शाप

मीरा कांत की नाट्य त्रयी ‘कन्धे पर बैठा था शाप’ उन छूटे हुए, अव्यक्त पात्रों एवं स्थितियों की अभिव्यक्ति है जो या तो साहित्यिक मुख्यधारा का अंग न बन सकीं या फिर उसकी सरहद पर ही रहीं।

इस नाट्य त्रयी का पहला नाटक है ‘कन्धे पर बैठा था शाप’ जो कालिदास के अन्तिम दिनों, अन्तिम उच्चरित शब्दों, अन्तिम पद्य-रचना, उनके प्रायः विस्मृत मित्र कवि कुमारदास और उस मित्र के प्रेम-प्रसंग के माध्यम से स्त्री-विमर्श का एक नया वातायन खोलता है। स्त्री-विमर्श की एक अन्य परत है विद्योत्तमा, जो एक बार दंडित की गयी विदुषी होने के कारण और दूसरी बार तिरस्कृत हुईं सम्मान के नाम पर।

दूसरा नाटक ‘मेघ-प्रश्न’ कालिदास विरचित ‘मेघदूतम्‌’ के कथा-तत्त्व के अन्तिम सिरे को कल्पना की पोरों से उठाकर एक भिन्‍न व सर्वथा नयी वीथि की ओर बढ़ाने का सुन्दर प्रयास है। यह नाटक सन्देश काव्य के सर्वाधिक सशक्त कारक मेघ की निजी व्यथा का यक्ष-प्रश्न सामने रखता है।

तीसरा नाटक ‘काली बर्फ़’ विस्थापन और डायस्पोरा के दर्द से बुने कश्मीर के समसामयिक यथार्थ को स्वर देता है। यह उस त्रासद कथा की एक बूँद मात्र है जो आज व्यथा बनकर बह रही है और उसी व्यथा-सरोवर में कहीं-कहीं खिल रहे हैं स्मृति से लेकर आनेवाले कल तक फैले सपने-कमल-दल सपनों के।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2010

Pulisher

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