Karana Patra

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Karana Patra

Karana Patra

300.00 255.00

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300.00 255.00

Author: Arun Kumar Sharma

Availability: 5 in stock

Pages: 320

Year: 2011

Binding: Hardbound

ISBN: 9788190679664

Language: Hindi

Publisher: Vishwavidyalaya Prakashan

Description

कारण पात्र (साधक दर्शन और योग-तांत्रिक साधना प्रसंग)

भारतीय अध्यात्म का मुख्य विषय है – योग और तंत्र। इस विश्व ब्रह्माण्ड में दो सत्ताएँ हैं – आत्म परक सत्ता और वस्तु परक सत्ता। पहली सत्ता आतंरिक है और दूसरी सत्ता बाह्य। तंत्र साधना का मतलब है शक्ति साधना; यानि हजारों-लाखों वोल्ट के बिजली के नंगे तार को छूना। शक्ति का दूसरा नाम है विनाश। उसे अनुकूल और रक्षा व निर्माण में प्रयुक्त करने का नाम है तंत्र। वेद का जो आध्यात्मिक ज्ञान है उसे कर्म में आयत्त करने की क्रिया का नाम तंत्र है। तंत्र का एकमात्र उद्देश्य है अद्वैत लाभ यानि दो का एक-दूसरे में लीन हो जाना। हिमालय में रमणीक घाटी है। बड़ा ही सुंदर स्थान है वह जो यक्षों का उपनिवेश है। क्या तुम मेरे साथ चलकर मेरे उपनिवेश को देखना स्वीकार करोगे ? मंद-मंद मुस्कुराती हुई पूछी उस यक्ष बाला ने। तंत्र-मंत्र के नाम पर ढोंग और पाखण्ड करने वाले साधना-उपासना बतलाने वाले, उपदेश-प्रवचन दिक्षा आदि देने वाले और शोषण-व्यभिचार आदि करने वाले लोगों के लिए नर्क का भी फाटक बंद है। उनकी मृत्योपरान्त क्या गति होती है इसकी कल्पना नहीं की जा सकती। जो लोग तंत्र-मंत्र की थोड़ी सी सिद्धि प्राप्त कर उसका दुरूपयोग करते हैं। किसी को दुख-कष्ट पहुँचाते हैं; अत्याचार-व्यभिचार करते हैं, ऐसे तांत्रिकों का अंतिम समय अति दारूण होता ही है और उनकी बड़ी दुगर्ति भी होती है मृत्यु के बाद और उनका जन्म भी अति घृणित योनि में होता है। परमात्मा का अर्थ है जिसमें सम्पूर्ण सृष्टि और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड समाहित है। परमात्मा सारे अस्तित्व का संदर्भ है। परमात्मा अनुभव की वस्तु है, उसका अनुभव किया जा सकता है देखा नहीं जा सकता।

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Hardbound

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2011

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