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Karmaphal Aur Punarjanm
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कर्मफल और पुनर्जन्म
संसार में सब दुःखों का क्षय करने के लिए पुरुषार्थ के अतिरिक्त कोई दूसरा मार्ग नहीं है। जो लोग यह समझते हैं कि सब कुछ भाग्य के आधीन है, वे नाश को प्राप्त होते हैं। राज्य की लक्ष्मी तभी प्राप्त होती है जब रण में दृढ होकर युद्ध करते हैं और जय होती है। केवल मुख से कहे कि ‘मेरी जय हो’ तो नहीं होती।
प्रबल पुरुषार्थ से कर्मों के अदृष्ट फल को टाला भी जा सकता है अथवा न्यून किया जा रुकता है। पुरुषार्थहीन व्यक्ति को ही अदृष्ट कर्मों का फल भोगना पड़ता है। वर्तमान के पुरुषार्य से पूर्व जन्म के संचित को सुधारा जा सकता है, सर्वथा नष्ट नहीं किया जा सकता क्योंकि पुरुषार्थ की भी एक सीमा है जो विधि के विधान का कभी उल्लंघन नहीं कर सकती।
– इसी पुस्तक से
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Publishing Year | 2015 |
Pulisher | |
Pages |
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