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Description
अपने वक्त के सच को पेश करने का प्रेमचंद का जो नजरिया था, वह आज के लिए भी माकूल है। गरीबों और सताये गये लोगों के बारे में उन्होंने किसी तमाशबीन की तरह नहीं, एक साझीदार की तरह से लिखा।
– फैज अहमद फैज
समाज-सुधारक प्रेमचंद से कलाकार प्रेमचंद का स्थान कम महत्वपूर्ण नहीं है। उनका लक्ष्य जिस सामाजिक संघर्ष और प्रवर्तन का चित्रित करना रहा है, उसमें वह सफल हुए हैं।
– डॉ. रामविलास शर्मा
कलम के फील्ड मार्शल, अपने इस महान पुरखे को दिल में अदब से झुककर और गर्व से मैं रॉयल सैल्युट देता हूँ।
– अमृतलाल नागर
कर्मभूमि प्रेमचंद का राजनीतिक उपन्यास है। इस उपन्यास में विभिन्न राजनीतिक समस्याओं को कुछ परिवारों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। ये परिवार अपनी पारिवारिक समस्याओं से जूझते हुए भी राजनीतिक आन्दोलन में भाग ले रहे हैं। लेखक ने उपन्यास के सभी चरित्रों द्वारा राष्ट्रीय चेतना, आदर्श पारिवारिक व्यवस्था आदि में गाँधी दर्शन स्पष्ट किया है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2012 |
Pulisher |
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